बिलासपुर. रेलवे द्वारा लगातार ट्रेनों को कैंसल करने के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इसमें कहा गया है कि रेलवे को सीधे तौर पर ट्रेनें रद्द करने का अधिकार नहीं है. वहीं स्पेशल ट्रेनें चलाने के नाम पर कई तरह की छूट को हटा दिया गया है और जरूरतमंदों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है.
बता दें कि बिलासपुर निवासी अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने यह जनहित याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि पिछले कई महीनो से ट्रेनों को एक के बाद एक और थोक में रद्द कर दिया जा रहा है. लगभग हर सप्ताह दर्जनों ट्रेनें कैंसल रहती हैं. पैसेंजर ट्रेनों के नहीं चलते से खासी दिक्कतें होती हैं.
स्पेशल के नाम पर छूट का लाभ नहीं
इसी तरह कहा गया है कि सीनियर सिटीजन को स्पेशल ट्रेनों में छूट का लाभ नहीं मिल रहा है. लॉकडाउन के समय ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया था. बाद में उन्हें एक के बाद एक पटरी पर लाई गईं तो उनके नंबर के आगे शून्य जोड़कर चलाया गया. इससे वे स्पेशल ट्रेनें बन गईं और छूट का लाभ से भी वंचित कर दिया गया. जबकि अब हालात पहले जैसे नहीं रहे.
प्रत्युत्तर में ये कहा
वहीं सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने प्रत्युत्तर भी पेश किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि ट्रेनों को आपदा के वक्त बंद किया गया था. रेलवे को ट्रेनें रद्द करने का कोई आधार नहीं है. वहीं 39 विभिन्न श्रेणियों में किराए में छूट का लाभ मिलता है. अभी सिर्फ गंभीर रूप से बीमार और दिव्यांग श्रेणी के लोगों को ही इसका लाभ मिल रहा है. जबकि बाकी को वंचित रखा गया है.
रेलवे बोर्ड ने नहीं लिया निर्णय
बता दें कि इस याचिका पर पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से जवाब पेश किया गया था. इसमें कहा गया था कि ट्रेनों को चलाने का निर्णय रेलवे बोर्ड द्वारा लिया जाना है. वहीं इस बार की सुनवाई के दौरान तक भी बोर्ड ने कोई ऐसा निर्णय नहीं लिया.
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