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मध्य भारत के फेफड़े पर आरी चलाने की तैयारी, राज्य सरकार के खिलाफ लोगों का आक्रोश हुआ तेज

 Newsbaji  |  May 08, 2022 03:03 PM  | 
Last Updated : Jan 06, 2023 04:14 PM

रायपुर. छत्तीसगढ़ शासन ने कोरबा और सरगुजा के सरहदी क्षेत्र से लगे परसा कोल ब्लॉक को वन स्वीकृति दे दी है। इसके साथ ही ग्रामीणों का विरोध भी तेज हो गया है। राज्य सरकार से वन स्वीकृति मिलने के बाद राजस्थान सरकार द्वारा किए ए MDO के तहत अडानी समूह यहां उत्खनन कार्य करेगा।

छत्तीसगढ़ी लोक गायक की सरकार से अपील
हसदेव अरण्य बचाने की मुहिम में अब कलाकार व साहित्यकार भी जुड़ते जा रहे हैं। अनेक लोग हसदेव अरण्य को बचाने अपने-अपने अंदाज में कला के माध्यम से शासन एवं लोगों तक अपनी आवाज पहुंचा रहे हैं। ऐसे ही विलुप्त होती खंजेरी गायन विधा को संजोकर रखें छत्तीसगढ़ी लोक गायक खुमान सिंह यादव ने भी खंजेरी गायन के माध्यम से "पेड़ बचावो जी" के अनूठे अंदाज में सरकार एवं आम जनता से हसदेव बचाने की अपील की है। जिसकी वीडियो इन दिनों खूब वायरल हो रही है। 66 वर्षीय छत्तीसगढ़ी लोक गायक खुमान यादव बचपन से छत्तीसगढ़ी लोकगीत गायन कर रहे हैं। उनकी गीतों का आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से भी प्रसारण समय-समय पर होते रहते हैं। उनकी संस्था छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक लोक कला मंच मांग के सिंदूर की छत्तीसगढ़ सहित देश के विभिन्न राज्यों में अनेक मंचों पर मंचन हो चुका है वायरल वीडियो में उन्होंने खंजेरी गायन से जो मार्मिक गीत प्रस्तुत की उसे उनके छोटे भाई रोमशंकर यादव ने लिखा है।

खुमान सिंह यादव ने भी हसदेव को बचाने की अपील की।

पेड़ कटाई की स्वीकृति
बता दे कि, हसदेव अरण्य क्षेत्र के जंगल जैव विविधता से परिपूर्ण हैं। इसे मध्य भारत का फेफड़ा भी कहा जाता है। इन जंगलों से मध्य भारत को अथाह ऑक्सीजन मिलता है। ये वन पर्यावरण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसी क्षेत्र में लगभग 23 कोल ब्लॉक प्रस्तावित हैं। कोयले का अकूत भंडार यहां है। इन्हीं में से एक परसा कोल ब्लॉक को इसी माह की 12 अप्रैल को राज्य की भूपेश सरकार ने अंतिम वन स्वीकृति दे दी है। जिसके बाद लगातार प्रदेश व देश के लोगों ने इस कोल परियोजना का विरोध करना शुरु कर दिया है।

जंगल बचाने के लिए लोग विरोध कर रहे है।

तबाह हो जाएगा जंगल
परसा कोल ब्लॉक के लिए 841 हेक्टेयर क्षेत्र प्रस्तावित है। यहां घने वन मौजूद हैं। पर्यावरण एक्टिविस्ट आलोक शुक्ला मानते है तो यहां से लगभग 700 लोगों को विस्थापित किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के लिए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हसदेव अरण्य के परसा कोल ब्लॉक में 95,000 पेड़ कटेंगे। हालांकि सामाजिक कार्यकर्ताओं का अनुमान है कि कटने वाले पेड़ों की असल संख्या लगभग 4 लाख पेड़ों होगी। एक तरह से समृद्ध वन पूरी तरह से तबाह हो जाएगा।

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