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भूपेश सरकार ने केन्द्र को लिखा पत्र, परसा कोल ब्लॉक की अनुमति निरस्त करने की मांग

 Newsbaji  |  Nov 02, 2022 10:07 AM  | 
Last Updated : Jan 06, 2023 10:19 AM

रायपुर। छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य स्थित परसा कोल ब्लॉक पर राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। लंबे समय से चल रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने खदान के लिए दी गई वन स्वीकृति को रद्द कराने की तैयारी में जुट गई है। वन विभाग ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर खदान के लिए दी गई वन भूमि के डायवर्शन की अनुमति को निरस्त करने की मांग की है।

वन विभाग के अवर सचिव केपी राजपूत ने सोमवार को केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में वन महानिरीक्षक को एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया कि, हसदेव अरण्य कोल फील्ड में व्यापक जनविरोध के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो गई है। ऐसे में जनविरोध, कानून व्यवस्था और व्यापक लोकहित को ध्यान में रखते हुए 841 हेक्टेयर की परसा खुली खदान परियोजना के लिए जारी वन भूमि डायवर्शन स्वीकृति को निरस्त करने का कष्ट करें। इससे पहले सरकार ने विधानसभा में आए एक अशासकीय संकल्प का समर्थन किया था। इसमें केंद्र सरकार से हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खदान परियोजनाओं का आवंटन निरस्त करने की मांग की गई थी।

जानकार बताते है कि, परसा कोल ब्लॉक की वन स्वीकृति ग्रामसभा के फर्जी प्रस्ताव के आधार पर हासिल की गई थी। राज्य सरकार ने वन संरक्षण नियम-1980 की धारा 2 के तहत वन स्वीकृति का अंतिम आदेश जारी किया था। इसे वापस लेना पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। यदि केंद्र सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो राज्य सरकार तत्काल वन स्वीकृति को निरस्त कर सकती है।

बता दे कि, केंद्रीय पर्यावरणए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जुलाई 2019 में ही परसा कोयला खदान को पर्यावरणीय मंजूरी दी गई थी। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति सहित स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया था, जिस प्रस्ताव के आधार पर यह स्वीकृति दी गई है वह ग्राम सभा फर्जी थी। उनकी ग्राम सभा में इस परियोजना का विरोध हुआ था। सरकार ने बात नहीं सुनी और फरवरी 2020 में केंद्रीय वन मंत्रालय ने परसा कोयला खदान के लिए स्टेज-1 वन मंजूरी जारी कर दी थी। अक्टूबर 2021 में इस परियोजना के लिए स्टेज- 2 वन मंजूरी जारी की गई थी। 6 अप्रैल 2022 को छत्तीसगढ़ सरकार ने भी वन भूमि देने की अंतिम मंजूरी दे दी थी।

राजस्थान में गहराता बिजली का संकट
दरअसल, परसा खदान राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित है। छत्तीसगढ़ सरकार के इस निर्णय से राजस्थान में महंगी बिजली का संकट गहराने लगा है। कंपनी की ओर से कहा गया कि, राजस्थान अभी हाल ही में बिजली संकट के दौर से गुजर चुका है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मार्च महीने में छत्तीसगढ़ का दौरा भी किया था। इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बाघेल से खास तौर पर निगम को आवंटित तीनों कोयला खदानों को शीघ्र चालू कराने का अनुरोध किया था। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था की RRVUNL पहले से ही सारी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा कर चुका है। अब बस खनन शुरू करना है।

जानकारी के मुताबिक, राजस्थान के संयंत्रों से 4400 मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए केंद्र सरकार ने समय- समय पर छत्तीसगढ़ में परसा ईस्ट केटे बासन, परसा और केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था।

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