रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में उमरकोट-जगदलपुर मार्ग पर ओडिशा सीमा से 25 अप्रैल 2022 को बेचने ले जाए जा रहे एक जीवित पैंगोलिन को जप्त किया गया था। उसे रायपुर लाकर जंगल सफारी में रखा गया। अब इस मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है। जिसकी सुनवाई 30 मई 2022 को होनी है।
जू में जिन्दा नहीं रहते पैंगोलिन
राजधानी रायपुर निवासी याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने अपने अध्यन में कहा है कि चींटी दीमक खाने की विशेष आदत के कारण और इनके सामाजिक और प्रजनन की समझ नहीं होने के कारण ये बंधक जीवन नहीं जी पाते है। यह जानकारी होने के बावजूद वन विभाग और जंगल सफारी प्रबंधन ने अनुसूची-1 के तहत संरक्षित और आई.सी.यू.एन. की रेड बुक में संकटग्रस्त घोषित भारतीय पैंगोलिन को बंधक बना रखा है और चींटी दीमक जुगाड़ कर के इसे खिला रहे हैं।
वन विभाग कर रहा मनमानी
याचिकाकर्ता ने बताया कि केंद्रीय जू अथॉरिटी ने वर्ष 2021 में पैंगोलिन के पुनर्वास के लिए मार्गदर्शिका जारी कर रखी है, जिसके तहत जप्त पैंगोलिन को जंगल के घने इलाके में थोड़ा जाना है। जहां से उसे पकड़ा गया है, जहां रोड-रेल और मानव बस्ती ना हो। बावजूद इसके वन विभाग की मनमानी के चलते उसे रायपुर के जंगल सफारी में रखा गया है।
बंधक पैंगोलिन को रिहा करने को लिखा पत्र
जानकारी के अनुसार, 6 मई 2022 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को पत्र लिखकर बंधक पैंगोलिन को छोड़ने की मांग की थी और यह भी बताया कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत किसी भी अनुसूचि-एक के वन्य जीव को बिना उनके आदेश के बंधक नहीं बनाया जा सकता है। खुद उनके कार्यालय ने बताया है कि पैंगोलिन को बंधक बनाने का आदेश उन्होंने जारी नहीं किया है। इसके बावजूद भी प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं और ना ही बंधक पेंगोलिन को छोड़ रहे हैं।
बिना किसी आदेश के जंगल सफारी ने उसे रखा गया
पैंगोलिन जप्त करने के बाद, वन परीक्षेत्र अधिकारी करपावंद, जिला बस्तर ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर को आवेदन देकर कहा कि जप्त वन्य प्राणी पैंगोलिन दुर्लभ प्रजाति का वन्य प्राणी है। इसे जंगल में छोड़ने पर ग्रामीणों के द्वारा हानि पहुंचाई जा सकती है। सुरक्षा की दृष्टि से शासन द्वारा वर्तमान में निर्मित जंगल सफारी नया रायपुर में रखना उचित होगा। न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर द्वारा वन परिक्षेत्र अधिकारी के आवेदन पर ही आदेशित किया गया कि प्रकरण में जब्त शुदा वन्यजीव पैंगोलिन को वनमंडल अधिकारी जगदलपुर के माध्यम से जंगल सफारी नया रायपुर में विधि अनुसार रखे जाने की आदेशित किया जाता है। परन्तु वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा बिना वनमंडल अधिकारी जगदलपुर के आदेश के पैंगोलिन को जंगल सफारी लाकर छोड़ दिया। आश्चर्य की बात है कि जंगल सफारी ने उसे डीएफओ जगदलपुर के पत्र के बिना रख भी लिया।
तस्करी में जप्त सभी वन्यप्राणी जंगल सफारी में रहेंगेॽ
सिंघवी ने बताया कि अगर ऐसा ही चलता रहेगा तो वे वन्यजीव जो तस्करी की दौरान जप्त किये गए। वे सब जंगल सफारी में पाए जायेंगे। उन्होंने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को प्रेषित पत्र में बताया गया कि वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा की गई कार्यवाही पूर्णता विधि विरुद्ध और वन्य प्राणियों के विरुद्ध है। परन्तु प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने कोई कार्यवाही नहीं की है।
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