रायपुर. छत्तीसगढ़ की ग्राम पंचायतों में शासन के प्रतिनिधि के तौर पर नियुक्त होने वाले पंचायत सचिव जिला व जनपद पंचायत के सीईओ, नगर निगम कमिश्नर व नगर पंचायत व पालिका सीईओ की तरह का काम अपने स्तर पर करते हैं. अंतर ये कि बाकी अफसर राज्य प्रशासनिक अफसरों से लेकर आईएएस तक होते हैं. पंचायत सचिव आज तक नियमित कर्मचारी तक नहीं बने हैं. इसी के लिए उनका संघर्ष जारी है. पिछले साल इन्होंने 57 दिनों तक हड़ताल की.
इसके बाद तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल के नियमितीकरण के ऐलान के बाद हड़ताल स्थगित की गई. कहा गया कि भूपेश है तो भरोसा है. कई तरह की घोषणाएं भी उनके लिए की गई. फाइलें आगे बढ़ीं और आ गया विधानसभा चुनाव, जिसमें भूपेश की सरकार ही चली गई. अब जब 7 जुलाई को पंचायत सचिव दिवस के कार्यक्रम में वर्तमान सीएम विष्णुदेव साय को आमंत्रित किया गया. मंच पर उन्होंने न सिर्फ नियमितीकरण का ऐलान किया, बल्कि इसके लिए कमेटी गठन करने की भी बात कही है.
एक बार फिर प्रदेश के 11 हजार 664 पंचायत सचिवों को आस बंध गई. सीएम का स्वागत गजमाला से किया गया. सीएम ने भी इसे मोदी की गारंटी बताते हुए कहा है कि इसे हम पूरा करने जा रहे हैं. खास बात ये भी है कि साय सरकार से उन्हें उम्मीदें भी इसलिए है, क्योंकि सरकार में आते ही हड़ताल की अवधि के एरियर्स का भुगतान भी कर दिया गया था.
वर्तमान में ये सुविधाएं
नियमितीकरण पर ये लाभ
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