जशपुर. पहाड़ी कोरवा और बिरहोर, जिन्हें आदिवासी वर्ग में सबसे अंतिम पंक्ति में माना जाता रहा है. वह यदि सामान्य ग्रामीण परिवेश का जीवन जीने लगे तो इसे बदलाव कह सकते हैं. लेकिन, जब वे इससे भी आगे बढ़कर अपने और दूसरे समाज को शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाने लगे तो यह बदलाव से कहीं और आगे की बात है. जी हां, कुछ पीढ़ियों पहले तक जिनकी पहचान, जंगल और पहाड़ के बीच रहने वाले और शिकार करने वालों के रूप में थी, उनकी ही ये नई पीढ़ी के 142 युवा अब शिक्षक बन गए हैं. अब ये समाज में शिक्षा की नई रोशनी बिखेरने को तैयार हैं.
बता दें कि सरकार के प्रयास और स्वयं की जीजीविषा का ही परिणाम है कि जशपुर के इस अति विशिष्ट पिछड़ी कही जाने वाली पहाड़ी कोरवा व बिरहोर जनजाति परिवार के 142 युवा अभ्यर्थियों को सीधी भर्ती के माध्यम से सरकारी नौकरी दी गई है. इनकी नियुक्ति सहायक शिक्षक के रूप में हुई है.
सीएम बघेल ने वीसी के जरिए दिया नियुक्ति पत्र
जहां तक इस कवायद की बात करें तो जशपुर कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल और सहायक आयुक्त लवीना पांडेय ने सभी अभ्यर्थियों की पहले पात्रता जांच कराई. इसके बाद अंतिम प्रक्रिया में सीएम भूपेश बघेल भी इनसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रूबरू हुए. सीएम ने उन्हें संबोधित किया और उनके इस सफर पर उन्हें शाबाशी भी दी. साथ ही नियुक्ति पत्र भी प्रदान किया.
ऐसे मिली कामयाबी
जशपुर जिले में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाली विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा परिवार लगभग पांच दशकों से गुमनामी का जीवन जी रहे थे. प्रदेश सरकार ने जशपुर के पहाड़ी कोरवाओं के जीवन स्तर में सुधार के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल शुरू की. तब इसके सार्थक परिणाम भी आने लगे. अंतत: कलेक्टर डॉ. मित्तल के निर्देशन में इन 142 पहाड़ी कोरवा अभ्यर्थियों को सहायक शिक्षक के पद पर सीधी नियुक्ति दी गई. चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की.
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