बिलासपुर. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने महालेखाकार कार्यालय के खिलाफ महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारी से उसकी सेवानिवृत्ति के छह माह बाद रिकवरी नहीं की जा सकती. जस्टिस संजय के अग्रवाल ने कहा कि इस प्रकार की वसूली के लिए शासन को सिविल न्यायालय की कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा. कोर्ट ने इस आदेश के जरिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को राहत दी है.
याचिकाकर्ता धरमू राम मंडावी 31 मई 2008 को राजनांदगांव के मोहला ब्लॉक के शासकीय हाई स्कूल सोमाटोला से सेवानिवृत्त हुए थे. उनके सेवानिवृत्ति के बाद महालेखाकार कार्यालय रायपुर ने 25 मई 2010 को उन्हें सूचित किया कि उनके पीएफ खाते में 2,85,711 रुपये का ऋणात्मक शेष है. इस नोटिस को याचिकाकर्ता ने चुनौती दी, लेकिन उनकी अपील अस्वीकार कर दी गई, जिसके बाद ब्याज सहित 2,57,114 रुपये वसूली का आदेश जारी किया गया.
महालेखाकार कार्यालय की ओर से वसूली का आदेश
महालेखाकार कार्यालय ने 14 मार्च 2013 को याचिकाकर्ता को फिर से नोटिस जारी कर ब्याज सहित 2,57,114 रुपये की वसूली का आदेश दिया. यह आदेश सेवानिवृत्ति के पांच साल बाद दिया गया था, जिसे याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी.
ये दी गईं दलीलें
महालेखाकार कार्यालय ने कोर्ट में रिटर्न दाखिल कर बताया कि याचिकाकर्ता के जीपीएफ खाते में 2,57,114 रुपये का ऋण शेष है, इसलिए वह इस राशि के हकदार नहीं हैं. वहीं याचिकाकर्ता के वकील विभोर गोवर्धन ने दलील दी कि उनके मुवक्किल 31 मई 2008 को सेवानिवृत्त हो चुके थे, और वसूली का नोटिस उनकी सेवानिवृत्ति के काफी समय बाद भेजा गया है, जो अनुचित है.
हाई कोर्ट ने आदेश में ये कहा
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सेवानिवृत्ति की तिथि से छह माह की अवधि के बाद किसी भी प्रकार की रिकवरी करना कानूनन गलत है. इसके लिए शासन को सिविल न्यायालय की प्रक्रिया का पालन करना होगा. कोर्ट ने इस आदेश के साथ महालेखाकार के नोटिस को अस्वीकार कर दिया, जिससे सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है.
रुंगटा पब्लिक स्कूल में दो दिवसीय रूंगटा यूथ सम्मेलन, नीति निर्माण में होगा लाभकारी
भिलाई की स्मृति नगर चौकी पर पथराव, पुलिस ने 14 लोगों पर दर्ज किया मामला
Copyright © 2021 Newsbaji || Website Design by Ayodhya Webosoft