रायपुर. देशभर के सरकारी अधिकारी, कर्मचारी चाहे वे राज्य सेवा में हो या केंद्रीय सेवा में, पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने के लिए आंदोलनरत रहते हैं. छत्तीसगढ़ में भी उन्होंने लंबा संघर्ष किया और फिर सरकार ने इसकी अनुमति दे दी विकल्प के साथ. लेकिन, आश्चर्य की बात ये है कि कई ऐसे सरकारी कर्मचारी भी हैं जो पुरानी के बजाय नई यानी राष्ट्रीय पेंशन स्कीम पर भरोसा जता रहे हैं. इनकी संख्या भी सौ दो सौ नहीं बल्कि 2200 है.
बता दें कि जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली का ऐलान किया था तब सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के एक धड़े ने नई पेंशन स्कीम को ही ठीक बताते हुए इसी का लाभ दिलाने की बात कही. तब इसे उनकी च्वाइस पर छोड़ने का फैसला किया गया. वहीं पेशन एवं भविष्य निधि संचालनालय को आदेश जारी किया गया कि वे कर्मचारियों से विकल्प पत्र भरवाएं. तब सभी जिला कोषालय अधिकारियों को आदेश जारी किया गया कि वे अपने जिले के अधिकारी-कर्मचारियों ने विकल्प पत्र भरकर जमा कराएं और जिन्हें जो पेंशन स्कीम पसंद है, वे भरें और उन पर उसी के अनुरूप निर्णय लिया जाएगा. बहरहाल ये कवायद जारी है और अब तक की ये रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है.
इतनी संख्या में हैं ओपीएस भरने वाले
इन सबके बीच पुरानी पेंशन योजना यानी ओपीएस (Old Pension Scheme) का लाभ लेने वालों की तादाद ही सबसे ज्यादा है. इसके तहत अब तक 2 लाख 88 हजार 271 लोगों ने ओपीएस पर भरोसा जताया है. अब इनकी सर्विस बुक में इसे लेकर संशोधन समेत अन्य कवायदें शुरू की जाएंगी.
इनमें है अनिर्णय की स्थिति
बता दें कि पूरी कवायद के बीच अब भी 8 हजार 575 अधिकारी-कर्मचारी ऐसे भी हैं, जिन्होंने दोनों में से कोई विकल्प नहीं चुना है. यानी इन्होंने अब तक इसे लेकर अपनी उपस्थिति ही नहीं दी है. इसका सीधा सा मतलब ये लगाया जा रहा है कि ये अनिर्णय की स्थिति में हैं. वरना अपने भविष्य से जुड़े मामले में ये इतने निश्चिंत या इतने व्यस्त नहीं हो सकते थे कि इसके लिए समय न निकाल सकें.
मार्च महीने से की जाएगी कटौती
बता दें कि सभी जिला कोषालय अधिकारियों को जो पत्र भेजा गया है उसमें संचालक पेंशन एवं भविष्य निधि की ओर से कहा गया है कि जिन्होंने एनपीएस या ओपीएस भरा है उनका अलग-अलग वेतन देयक मार्च महीने के हिसाब से तैयार कर वेतन जारी करें और नियमानुसार वेतन में कटौती भी करें. जबकि अनिर्णय की स्थिति वालों के वेतन में फिलहाल कटौती नहीं करने को कहा गया है.
ये है ओपीएस और एनपीएस का असली मतलब
पुरानी पेंशन योजना यानी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत साल 2004 से पहले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन दी जाती थी. यह कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय उनके वेतन पर आधारित होती थी. इसमें रिटायर्ड कर्मचारी की मौत के बाद उनके परिजनों को भी पेंशन का प्रावधान था. इसे 1 अप्रैल 2004 में केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बंद करके इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना से बदल दिया. इसमें पेंशन पाने के लिए अपनी बेसिक सैलरी व डीए में से 10 प्रतिशत व उनके नियोक्ता 14 प्रतिशत तक योगदान देते हैं. यानी अपनी बेसिक सैलरी का 10 फीसद निवेश करना होता है. योजना शेयर बाजार पर आधारित है. यानी भुगतान बाजार की चाल को देखते हुए किया जाता है.
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