रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के आयुक्त धनवेंद्र जायसवाल ने सूचना का अधिकार कानून के तहत सूचना देने में लापरवाही बरतने और सूचना नहीं देने वाले लापरवाह अफसरों के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है. अलग-अलग प्रकरणों में उन्होंने कुल 85 लाख रुपये का जुर्माना जनसूचना अधिकारियों पर लगाया है.
बता दें कि ये कार्रवाई पिछले ढाई साल में आई कुल 836 शिकायतों के आधार पर की गई है. इसके तहत कुल 85 लाख 37 हजार रुपये से अधिक का अर्थदंड संबंधित जनसूचना अधिकारियों पर लगाया गया है. राज्य सूचना आयुक्त के कोर्ट ने मार्च 2021 से लेकर इस साल के सितंबर माह के दौरान पारित आदेश में इस जुर्माने का आदेश दिया है.
ये होते हैं जनसूचना अधिकारी
दरअसल, सूचना का अधिकार कानून 2005 के अनुसार, एक निर्धारित प्रपत्र में आवेदन देकर निर्धारित प्रक्रिया के तहत कोई भी जानकारी दस्तावेजों की छायाप्रति के साथ किसी भी विभाग से प्राप्त की जा सकती है. इसके लिए विभिन्न अफसरों को पदेन जनसूचना अधिकारी नियुक्त किया जाता है. इसमें शासकीय विभागों व कार्यालयों से लेकर पंचायत स्तर के अधिकारी-कर्मचारियों को यह जिम्मेदारी दी गई है.
संयुक्त कलेक्टर से पंचायत सचिवों तक पर कार्रवाई
जुर्माने वाले प्रकरणों की बात करें तो जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है उन जनसूचना अधिकारियों में संयुक्त कलेक्टर, तहसीलदार, सीईओ जनपद पंचायत, खंड शिक्षा अधिकारी, खनिज अधिकारी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, मेडिकल कॉलेज के जनसूचना अधिकारी व ग्राम पंचायतों के सचिव सहित अन्य शामिल हैं.
अपीलीय अधिकारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा
इन प्रकरणों की जांच में जनसूचना आयुक्त कार्यालय को यह भी पता चला है कि कई प्रकरणों में अपीलीय अधिकारियों तक भी शिकायत पहुंची. इसके बाद भी उन्होंने ध्यान नहीं दिया. नतीजा, आवेदकों को जनसूचना अधिकारी तक शिकायत पहुंचानी पड़ी. लिहाजा जनसूचना आयुक्त ने प्रथम अपीलीय अधिकारियों के खिलाफ भी नुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की है.
12 अक्टूबर को लागू हुआ था आरटीआई कानून
आपको बता दें कि सूचना का अधिकार अधिनियम 12 अक्टूबर 2005 से पूरे देश में लागू हुआ था. इसका उद्देश्य नागरिकों को जानने का अधिकार दिलाना, सरकार के कार्यकलापों में पारदर्शिता और जवाबदेही का संवर्धन करना, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना और लोकतंत्र को वास्तविक रूप से जनता के लिए काम करने के लिए तैयार करना है. आम आदमी सरकारी दफ्तर और पर्याप्त वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों के कार्यालय से सूचना ले सकते हैं.
सूचना नहीं तो ऐसे करें शिकायत
अधिनियम के तहत जनसूचना अधिकारियों को 30 दिनों के भीतर आवेदकों को जानकारी देनी होती है. यदि वह जानकारी देने में असफल रहते हैं या जानकारी देने के कार्य में लापरवाही करते हैं तो आप उनके विरुद्ध प्रथम अपीलीय अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं. वहां 30 दिन या अधिकतम 45 दिन के भीतर आवेदन का निराकरण किया जाता है. इस स्तर पर भी जब जानकारी नहीं मिल पाती है या अधूरी जानकारी मिलती है तो द्वितीय अपील या शिकायत छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग में की जा सकती है.
ऑनलाइन सुनवाई की है व्यवस्था
नया रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत द्वितीय अपील और शिकायतों की सुनवाई के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की है. अपीलार्थी ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं. सभी जिलों के कलेक्टर कार्यालय स्थित एनआईसी के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम से सुनवाई की जाती है. इससे आवेदकों को रायपुर तक आने की जरूरत नहीं होती. राज्य सूचना आयोग ने जून 2023 में मोबाइल से भी सुनवाई की शुरुआत की है. इसके माध्यम से अपीलार्थी, जनसूचना अधिकारी अपने मोबाइल से जुड़कर द्वितीय अपील की सुनवाई में शामिल हो रहे हैं.
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