कांकेर. केंद्र सरकार की नक्सलवाद को समाप्त करने की योजना के तहत प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की सक्रियता बढ़ने से नक्सलियों में दहशत का माहौल है. इसी कड़ी में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सड़क किनारे बैनर लगाकर और पर्चे फेंककर बीएसएफ और आईटीबीपी के जवानों से बस्तर में चल रहे अभियान में शामिल न होने की अपील की है. यह घटना नक्सलियों की रणनीति में आए बदलाव का संकेत देती है, जहां वे सीधे सुरक्षाबलों से संपर्क साधने का प्रयास कर रहे हैं.
कांकेर जिले के अंतागढ़ थाना क्षेत्र में अंतागढ़-कुहचे मार्ग और मद्रासीपारा इलाके में बड़ी संख्या में नक्सलियों ने बैनर लगाए और पर्चे फेंके. इन पर्चों में सुरक्षाबलों को बस्तर में हो रही हिंसा से दूर रहने की अपील की गई. नक्सलियों ने बैनरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं को कस्बों और गांवों से बाहर खदेड़ने की चेतावनी भी दी. इसके अलावा, अबूझमाड़ क्षेत्र में प्रस्तावित सेना प्रशिक्षण केंद्र का भी विरोध दर्ज कराया गया.
पंचायत चुनाव के बहिष्कार का आह्वान
नक्सलियों ने पर्चों के माध्यम से स्थानीय निवासियों से आगामी पंचायत चुनावों का बहिष्कार करने की अपील की. उनका कहना है कि यह चुनाव प्रशासन और सरकार की एक चाल है, जिससे उनकी क्षेत्रीय गतिविधियों को बाधित किया जा सकता है. अबूझमाड़ क्षेत्र में नक्सलियों का यह विरोध उनकी रणनीति में एक लंबे समय से देखी जा रही गतिविधि का हिस्सा है, लेकिन इस बार उनकी अपील अधिक जोरदार और आक्रामक है.
माइक्रो फाइनेंस कंपनियां बनीं निशाना
इस बार नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के अलावा माइक्रो फाइनेंस कंपनियों को भी निशाने पर लिया है. पखांजूर थाना क्षेत्र के ऐसेबेड़ा-भिंगीडार मार्ग पर नक्सलियों ने बैनर लगाए और पर्चे फेंके, जिनमें इन कंपनियों पर किसानों, मजदूरों और महिलाओं को लूटने का आरोप लगाया. उन्होंने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के एजेंटों को गांवों से खदेड़ने की चेतावनी दी और स्थानीय लोगों से इन कंपनियों का विरोध करने की अपील की. नक्सलियों का यह कदम उनके लक्ष्यों में हो रहे विस्तार को दर्शाता है.
पहली बार लिया निशाने पर
ऐसा पहली बार है जब नक्सलियों ने माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी व्यक्त की है. इन कंपनियों पर मनमानी का आरोप लगाते हुए नक्सलियों ने ग्रामीण क्षेत्रों में फैले एजेंटों को सीधे निशाने पर लिया है. यह घटनाक्रम बताता है कि नक्सली अब न केवल सरकारी नीतियों बल्कि निजी संस्थानों के खिलाफ भी आक्रामक होते जा रहे हैं, जो उनके प्रभाव क्षेत्र में आम लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं.
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