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अब आपस में भिड़ रहे नक्सली, साथियों ने 25 लाख के इनामी को उतारा मौत के घाट

 Newsbaji  |  Nov 28, 2024 02:27 PM  | 
Last Updated : Nov 28, 2024 02:27 PM
बलरामपुर से लगे झारखंड के जंगल में नक्सली छोटू खैरवार को उसके साथ‍ियों ने मार डाला.
बलरामपुर से लगे झारखंड के जंगल में नक्सली छोटू खैरवार को उसके साथ‍ियों ने मार डाला.

बलरामपुर. छत्तीसगढ़ और झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय नक्सलियों के बीच आपसी विवाद ने नया मोड़ ले लिया है. बलरामपुर जिले में 25 लाख रुपये के इनामी कुख्यात नक्सली छोटू खैरवार की उसके ही साथियों ने हत्या कर दी. छोटू लंबे समय से नक्सली गतिविधियों का अहम चेहरा था और बलरामपुर में कई हिंसक वारदातों को अंजाम दे चुका था. उसका शव झारखंड के छिपादोहर थाना क्षेत्र के भीमगांव जंगल से बरामद किया गया है.

आपसी मतभेद बना हत्या का कारण
जानकारी के मुताबिक, यह हत्या माओवादियों के आंतरिक कलह का परिणाम है. बताया जा रहा है कि छोटू खैरवार के साथियों के साथ विचारधारा और सत्ता को लेकर विवाद चल रहा था. नक्सलियों के गुटों के बीच बढ़ती असहमति के कारण यह मामला हिंसा तक पहुंच गया. छोटू पर अपने गुट के भीतर वर्चस्व स्थापित करने का आरोप था, जो अंततः उसकी मौत का कारण बना.

25 लाख का इनामी था छोटू खैरवार
छोटू खैरवार बलरामपुर जिले में सक्रिय नक्सली गुटों का मुख्य सदस्य था और छत्तीसगढ़ में कई नक्सल हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता था. सरकार ने उसकी गिरफ्तारी के लिए 25 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था. बलरामपुर और आसपास के क्षेत्रों में छोटू का नाम सुनते ही दहशत फैल जाती थी. उसकी मौत नक्सली संगठन के भीतर बढ़ते तनाव और दरार का संकेत देती है.

झारखंड के जंगलों में मिला शव
मृतक नक्सली का शव झारखंड के लातेहार जिले के भीमगांव जंगल में बरामद किया गया. यह इलाका छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा हुआ है और माओवादियों का गढ़ माना जाता है. स्थानीय पुलिस ने घटनास्थल से शव बरामद कर मामले की जांच शुरू कर दी है. प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि हत्या माओवादियों के आपसी संघर्ष का परिणाम है.

आंतरिक कलह से कमजोर हो रहा नक्सल संगठन
छोटू खैरवार की हत्या ने नक्सल संगठन के अंदरूनी कलह को उजागर कर दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि आपसी विवाद और बगावत नक्सलियों की शक्ति को कमजोर कर रही है. प्रशासन का कहना है कि यह घटना नक्सलियों के गुटों में बढ़ती असहमति का संकेत है, जो उनके पतन का कारण बन सकती है. पुलिस और सुरक्षा बल इस घटना को नक्सली प्रभाव को खत्म करने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर मान रहे हैं.

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