नारायणपुर. छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र झारागांव में सोमवार रात को 17 वर्षीय आदिवासी लड़की सुशीला ने अपने पिता की जान बचाने के लिए आठ बंदूकधारियों का सामना किया. किसान सोमदेर कोर्राम के घर में कुल्हाड़ी और बंदूक लिए आठ लोग घुसे और उन पर हमला कर दिया.
बता दें कि शाम को कुछ लोग घर आए और सोमदेर के बारे में पूछताछ की. रात में वे नकाबपोश हमलावर वापस लौट आए. वे कुल्हाड़ी और बंदूकें लेकर सोमदेर को घेरने लगे. जब उनमें से एक ने सोमदेर की छाती पर कुल्हाड़ी से वार किया, तो उनकी बेटी सुशीला ने हिम्मत दिखाते हुए हमलावर पर झपट पड़ी और कुल्हाड़ी छीन ली.
सुशीला ने दिखाई बहादुरी
शेरनी की तरह अपने पिता की रक्षा करते हुए सुशीला हमलावरों के सामने डटकर खड़ी रही. उसका साहस देखकर हमलावर हतोत्साहित हो गए और पड़ोसियों के शोर मचाने पर वे भाग खड़े हुए. इस बहादुरी भरे कार्य ने न केवल उसके पिता की जान बचाई, बल्कि पूरे गांव में उसकी तारीफ हो रही है.
हालत स्थिर
घायल सोमदेर को गंभीर अवस्था में अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है. डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें सीने में गहरे घाव लगे हैं, लेकिन समय पर इलाज मिलने से उनकी जान बच गई है. डाक्टर भी बेटी के साहस के कसीदे गढ़ रहे हैं.
पुलिस ने शुरू की जांच
पुलिस इस घटना को जमीन विवाद से जुड़ा मामला बता रही है, जबकि ग्रामीण इसे नक्सली हमला मान रहे हैं. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है.
सुशीला की कहानी
सुशीला ने बताया कि हमलावर नकाब पहनकर आए थे और उनके पास कुल्हाड़ी और बंदूकें थीं. उन्होंने मेरे पिता को घेर लिया और एक ने कुल्हाड़ी से वार कर दिया. मैं तुरंत उन पर झपट पड़ी और कुल्हाड़ी छीन कर दूर फेंक दी. मेरे शोर मचाने पर पड़ोसी आ गए और हमलावर भाग गए. इस साहसिक घटना ने सुशीला को चर्चा में ला दिया है. हर कोई उसकी बहादुरी की तारीफ कर रहे हैं.
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