रायपुर. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता 89 वर्षीय नंदकुमार बघेल अब नहीं रहे. सोमवार की सुबह रायपुर के मोवा स्थित बालाजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांसें ली. सनातन विरोधी विचारधारा को अपनाने वाले नंदकुमार और उनके पुत्र पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बीच धार्मिक व नीतिगत फैसलों में मतभेद कई दफा उभरकर सामने आया था. कई बार अपने बयानों और रचनाकर्म के माध्यम से वे विवादों में भी घिरते रहे.
बता दें कि नंदकुमार बघेल पहली बार ज्यादा चर्चा में उस वक्त आए जब पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने धार्मिक भावना को आहत करने वाली बताकर उनकी लिखी किताब ब्राह्मण कुमार रावण को मत मारो को प्रतिबंधित करा दिया था.
इसके अलावा वे महिषासुर, रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद जैसे पात्रों को मूल भारतवासी बताकर उनके वध और पुतला दहन जैसे कार्यक्रमों की मुखालफत करते थे. इसे लेकर वे आदिवासियों के बीच भी जाते रहे. इसी कड़ी में वे उत्तर प्रदेश में भी ऐसा कुछ बयान दिए थे कि तत्कालीन सीएम बघेल के कहने पर छत्तीसगढ़ पुलिस आगरा जाकर उन्हें गिरफ्तार कर रायपुर ले आई थी.
यहां उन्हें 11 दिनों तक जेल में भी रखा गया. पिता-पुत्र के बीच रीति-नीति में मतभेद तब और उभरा जब उनकी पत्नी व पूर्व सीएम बघेल की माता का निधन हुआ. बघेल समेत उनका परिवार अपनी माता का अंतिम संस्कार व दशकर्म सनातन परंपरा अनुसार अपने घर में करते रहे. जबकि नंदकुमार बघेल बौद्ध संस्कृति के अनुरूप उनका अंतिम संस्कार राजिम में कराते रहे.
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