रायपुर। छत्तीसगढ़ के मनरेगा कर्मी हड़ताल पर है पिछले 62 दिनों से नियमित किए जाने की मांग कर रहे है। अब छत्तीसगढ़ शासन ने एक आदेश निकालकर 21 सहायक परियोजना अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया है। यह सभी संविदा पर विभाग में काम कर रहे थे। रायपुर, बिलासपुर, जशपुर, कांकेर, गरियाबंद जैसे जिलों में पदस्थ 21 सहायक परियोजना अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया है। संविदा पर काम कर रहे इन तमाम लोगों को नौकरी से निकाल कर इनकी जगह विभाग के नियमित अफसरों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है।
नौकरी से इन्हें किया गया बर्खास्त
पंचायत विभाग की तरफ से जारी किए गए आदेश के मुताबिक के रवि कुमार, मोहम्मद आरिफ रजा, शशिकांत गुप्ता, कृष्ण मोहन पाठक, संदीप डिकसेना, विजेंद्र सिंह, विनायक गुप्ता, अनुराधा शुक्ला, मनीष सोनवानी, राजेश वर्मा, रितु कोसरिया, त्रिलोकी प्रसाद, पवन सिंह, फैज मेमन, ओम प्रकाश साहू, नवीन कुमार साहू, परदीप डीडी, धर्म सिंह, बुद्धेश्वर साहू, कृष्ण कांत साहू, रोशनी तिवारी को नौकरी से बर्खास्त हो गए है।
सामूहिक इस्तीफा देने की तैयारी
प्रदेश के संविदा पर अलग-अलग जिलों में काम कर रहे सहायक परियोजना अधिकारी और दूसरी जिम्मेदारियां निभा रहे कर्मचारी भी अब इस आदेश की वजह से गुस्से में है। शनिवार को यह सभी सामूहिक तौर पर अपना इस्तीफा देने की तैयारी कर रहे हैं। रायपुर में भी धरने पर बैठे मनरेगा कर्मचारी रैली निकालकर अपना आक्रोश जताने की तैयारी में है।
आंदोलनरत कर्मियों की मांग
मनरेगा कर्मियों का दावा है कि छत्तीसगढ़ में 3000 से अधिक मनरेगा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की गई है। दूसरे प्रदेशों जैसे बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तराखण्ड, ओड़िशा,हिमांचल प्रदेश में मनरेगा के कर्मचारियों के नियमितिकरण सहित अगल-अलग फायदेमंद नीतियां लागू हैं। छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ का 2 सूत्रीय मांग के साथ आंदोलन कर रहा है। कांग्रेस के चुनावी जन घोषणा पत्र के मुताबिक समस्त मनरेगा कर्मियों का नियमितीकरण किया जाए।
नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक ग्राम रोजगार सहायकों का वेतनमान निर्धारण करते मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमों के तहत काम लिया जाए।
संविदा कर्मियों की नहीं है जरूरत
मनरेगा के 21 सहायक परियोजना अधिकारियों को नौकरी से निकाले जाने के पीछे वजह बताई जा रही है कि नियमित कर्मचारियों की भर्ती की वजह से संविदा पर काम कर रहे लोगों की जरूरत नहीं थी। इस वजह से उन्हें हटा दिया गया। इसे लेकर छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांत अध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी का कहना है कि हम इस बर्खास्तगी के आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
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