रायपुर. स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विभागीय अफसरों की पहली ही बैठक में कई बड़े निर्णयों के जरिए बड़े संकेत दे दिए. इसमें बड़ा निर्णय ये रहा कि शिमला और मनाली में मौजूद मॉल रोड की तर्ज पर मैनपाट और चैतुरगढ़ में मॉल रोड बनाने का. अंग्रेजों ने इन्हें खास मकसद से बनाया था जो अब टूरिस्ट्स के बीच बेहद मशहूर हैं.
बता दें कि चैतुरगढ़ कोरबा जिले में पहाड़ी के ऊपर स्थित है और मैनपाट सरगुजा जिले में हिल स्टेशन के रूप में प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस है. वैसे भी मैनपाट को छत्तीसगढ़ का शिमला ही कहा जाता है. यहां तापमान सामान्य से हमेशा कम ही रहता है. मैनपाट में ठंड के समय पाला भी जमता है. पर्यटक यहां दूर-दूर से खिंचे चले आते हैं.
अब जब यहां मॉल रोड डेवलप होंगे तो बाहर से आने वाले पर्यटकों को प्रकृति के अनूठे नजारे के साथ आधुनिकता का भी एहसास होगा और वे खरीदारी भी कर सकेंगे. इसका लाभ स्थानीय विक्रेताओं को भी होगा और शासन के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी.
ये होते हैं मॉल रोड
मनाली और शिमला को अंग्रेज अफसरों ने गर्मी से बचने के लिए विकसित कराया था और वे गर्मी के दिनों में वहां रहते थे. तब सेना के लिए कई खास जगहों का निर्माण किया गया. इसमें मॉल रोड भी शामिल था. तब मॉल रोड के आसपास विवाहित व नवविवाहिता सेना या अफसर रहा करते थे. तब इन जगहों को लिविंग लाइन के नाम से भी जाना जाता था, जहां आधिकारिक निर्णय लिए जाते थे.
इसके अलावा हिल स्टेशन पर मौजूद माॅल रोड पर हर तरह की बड़ी दुकानें, होटल आदि का निर्माण कराया गया. इस तरह ये वहां मुख्य बाजार के रूप में विकसित हुए. आगे चलकर ये यहां की न सिर्फ पहचान बन गए, बल्कि पर्यटकाें की जरूरतों को पूरा करने वाले और आकर्षण का केंद्र भी बन गए. यहां शॉपिंग के अलावा होटल, लाइब्रेरी, आर्ट म्यूजियम आदि की व्यवस्था की गई.
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