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महानदी और उसकी सहायक नदियों के उद्गम से छत्तीसगढ़ सीमा तक सर्वे शुरू, ओडिशा से विवाद को समझें आसान भाषा में

 Newsbaji  |  Apr 18, 2023 02:36 PM  | 
Last Updated : Apr 18, 2023 02:36 PM
महानदी के पानी के बंटवारे को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है.
महानदी के पानी के बंटवारे को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है.

रायपुर. खबर ये है कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच बहने वाली महानदी के जल के बंटवारे को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच शुरू से विवाद रहा है. जब भी महानदी और उसकी सहायक या सहायक की सहायक नदियों पर भी बांध या पानी रोकने का कोई और स्ट्रक्चर बनाया जाता है, ओडिशा विरोध में उतर जाता है. दोनों राज्यों के इस विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए महानदी जल विवाद अधिकरण ने सुलह की कोशिश शुरू कर दी है. 18 अप्रैल से छत्तीसगढ़ में महानदी के बेसिन का जायजा शुरू किया गया है. अब हम आपको पूरे विवाद के एक-एक पहलु को विस्तार से बताने जा रहे हैं. वह भी बिल्कुल आसान भाषा में.

पहले जान लें, नदी बेस‍िन क्या होता है
कोई भी नदी सिर्फ उद्गम से मुहाने तक के सफर के साथ ही पूरी नहीं होती. मायने ये भी रखता है कि उसमें पानी कहां-कहां से आकर मिलती है. वह अंतिम छोर जहां का पानी बहकर इस नदी पर आती है, चाहे मुख्य नदी में या फिर उसकी सहायक नदियों तक आती है उस पूरे क्षेत्र को नदी का बेसिन कहा जाता है. उदाहरण के लिए, महानदी में एक महत्वपूर्ण सहायक नदी शिवनाथ है. वह राजनांदगांव जिले के पानाबरस क्षेत्र से निकलती है. रास्ते में उस पर अरपा, लीलागर जैसी नदियां मिलती हैं. अब इन सभी नदियों में जहां-जहां से पानी आकर मिलता है, पूरा क्षेत्र महानदी का बेस‍िन क्षेत्र है. इस लिहाज से महानदी का बेसिन क्षेत्र इतना बड़ा है कि पूरे प्रदेश की 78 प्रतिशत आबादी इसमें निवास करती है.

महानदी के बेसिन क्षेत्र का सर्वे क्यों
बेसिन क्षेत्र का पानी अंतत: महानदी में मिलता है. ऐसे में पूरे क्षेत्र के सर्वे से ये पता किया जाएगा कि वहां पानी की क‍ितनी जरूरतें हैं. कितना पानी महानदी तक पहुंच रहा है और कितने को रोका जा रहा है. रोकने की जरूरत कितनी है और रोकना ज्यादा जरूरी है या पानी को छोड़ना. इसका आकलन सर्वे के साथ किया जाएगा. कारण ये है कि ओडिशा आरोप लगाता है कि छत्तीसगढ़ में गैरजरूरी ढंग से पानी रोका जाता है, जिससे ओडिशा में पानी की कमी हो जाती है. बेसिन के सर्वे से छत्तीसगढ़ में पानी की जरूरत और अनावश्यक रोकने जैसे मामलों की पुष्टि होगी. अंतत: निर्णय लिया जाएगा कि छत्तीसगढ़ में पानी रोकना जायज है या ओड‍िशा का आरोप सही है, जिसके आधार पर छत्तीसगढ़ को पानी छोड़ने के लिए कहा जाएगा.

बांधों को खोलने, चेकडेम के प्रस्तावों का भी आकलन
सर्वे टीम सिर्फ वर्तमान में क्या स्थिति है यह नहीं देखेगी. ये भी देखेगी कि छत्तीसगढ़ सरकार और स्थानीय प्रशासन भविष्य में कोई और स्ट्रक्चर तैयार करने की योजना तो नहीं बना रहा है. इससे पता चलेगा कि भविष्य में और कितना पानी रोकने की तैयारी है. यह यहां की जरूरत है या गैरजरूरी है.

ओडिशा में भी महानदी बेसिन का होगा सर्वे
इसी कड़ी में ओडिशा में महानदी के प्रवाह क्षेत्र का सर्वे होगा. इसमें वहां के बांध, पानी की जरूरतें आदि को देखा जाएगा. तब तय किया जाएगा कि वहां जरूरत के अनुसार पानी उपलब्ध है या नहीं. इसके बाद निर्णय लिया जाएगा कि महानदी के पानी को छत्तीसगढ़ में रोकने संबंधी ओडिशा का आरोप सही है या नहीं है. साथ ही उसी के मुताबिक आदेश भी जारी किया जाएगा.

बस्तर से लेकर सरगुजा तक जाएगी टीम
बता दें कि महानदी बेस‍िन में बस्तर से लेकर सरगुजा, बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़ आदि तक के क्षेत्र आते हैं. लिहाजा सर्वे टीम उन इलाकों तक पहुंचेगी. सहायक व सहायक की सहायक नदियों के उद्गम स्थल तक का जायजा लिया जाएगा.

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