रायपुर. विधानसभा मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल में विधायक कवासी लखमा ने सुकमा जिले में संचालित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) केंद्रों की स्थिति पर गंभीर प्रश्न उठाए. उन्होंने इन केंद्रों के भवनों की स्थिति, किराए की दुकानों और खाद्यान्न की कटौती पर सवाल किए.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली केंद्रों पर पूछे प्रश्न
विधायक कवासी लखमा ने सुकमा जिले में संचालित सार्वजनिक वितरण प्रणाली केंद्रों की संख्या और उनकी स्थिति के बारे में पूछा. उन्होंने जानना चाहा कि कुल कितने केंद्र संचालित हैं, कितने केंद्रों में खाद्यान्न गोदाम हैं, और कितने केंद्र भवनविहीन हैं.
मंत्री दयालदास बघेल ने जवाब दिया कि सुकमा जिले में कुल 191 दुकानें संचालित हैं, जिनमें से 175 दुकानों के भवन हैं. 16 दुकानें किराए के भवनों में चल रही हैं और 8 भवन अभी अपूर्ण हैं जबकि 9 भवन पूरे हो चुके हैं.
दुकानों का किराया भी पूछा
कवासी लखमा ने किराए की दुकानों के बारे में भी सवाल उठाया. उन्होंने पूछा कि कितनी दुकानों का किराया कितना है. इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि किराए की दुकानों का किराया अलग-अलग है, किसी का किराया 500 रुपये प्रति माह है तो किसी का 4000 रुपये प्रति माह.
दुकानों की शिफ्टिंग पर विवाद
विधायक लखमा ने आरोप लगाया कि सुकमा जिले में कई राशन दुकानों को शिफ्ट किया गया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन दुकानों की शिफ्टिंग के पीछे नक्सलियों को राशन पहुँचाने का उद्देश्य हो सकता है. लखमा ने पूछा कि क्या इन दुकानों की शिफ्टिंग पर कोई कार्यवाही होगी.
मंत्री दयालदास बघेल ने कहा कि ऐसी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि अगर कोई तथ्य है तो विधायक उसे लिखकर दे सकते हैं, और वे जांच करवा लेंगे.
खाद्यान्न में कटौती, चना-गुड़ भी कम
कवासी लखमा ने सुकमा जिले में चावल की कटौती और लोगों को चना और गुड़ नहीं मिलने की शिकायत भी की. उन्होंने पूछा कि इस पर क्या कार्यवाही की जाएगी. विधानसभा अध्यक्ष ने विधायक को आश्वासन दिया कि वे लिखकर दें, इस पर कार्यवाही की जाएगी.
लगाया ये बड़ा आरोप
पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक कवासी लखमा ने एक बड़ा आरोप लगाया कि नक्सलियों को राशन पहुँचाने के लिए राशन दुकानों को शिफ्ट किया गया है. उन्होंने पूछा कि जब पहले से संचालित दुकानें ठीक से चल रही थीं, तो फिर इन दुकानों को कोर नक्सली क्षेत्र में क्यों शिफ्ट किया गया.
विधानसभा मानसून सत्र के दौरान उठाए गए इन सवालों और आरोपों ने सुकमा जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की स्थिति पर गंभीर चर्चा छेड़ दी है. अब देखना यह होगा कि इन आरोपों पर सरकार क्या कदम उठाती है और क्या कार्यवाही होती है.
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