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कुर्मी समाज की मांग, सार्वजनिक हो क्वांटीफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट, लीक डाटा के आंकड़े पर भी आपत्ति

 Newsbaji  |  Mar 03, 2024 05:47 PM  | 
Last Updated : Mar 03, 2024 05:47 PM
बिलासपुर में कुर्मी समाज ने क्वांटीफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग करते हुए पत्रकारों से चर्चा की.
बिलासपुर में कुर्मी समाज ने क्वांटीफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग करते हुए पत्रकारों से चर्चा की.

बिलासपुर. Quantifiable Data Commission: क्वांटीफायबल डाटा आयोग कांग्रेस शासनकाल के दौरान बनाया गया था और पिछड़े वर्ग की आबादी का जातिवार सर्वे करा रिपोर्ट तैयार की गई थी. इसके आंकड़े अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. वहीं लीक डाटा में कुर्मी समाज को पांचवें नंबर पर दर्शाया गया है. इन पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कुर्मी समाज के पदाधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर उन्होंने रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है.

रविवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए समाज के पदाधिकारी व पूर्व विधायक सियाराम कौशिक, रमेश कौशिक, डॉ. अरुण सिंगरौल समेत समाज के अन्य लोगों ने क्वांटी फायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट को सरकार से सार्वजनिक करने की मांग की. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में निवासरत कूर्मि समाज 27 फिरकों में है. छत्तीसगढ़ में कूर्मि समाज की आबादी 29 लाख से ज्यादा है.

जबकि छत्तीसगढ़ क्वांटी फायबल डाटा आयोग द्वारा पिछड़े वर्ग की जनसंख्या जनगणना कब व कैसे की गई जिसकी जानकारी किसी को नहीं दी गई है. एक अखबार में बीते 17 फरवरी को समाचार प्रकाशित किया गया है. समाज का आरोप है कि क्वांटी फायबल डाटा आयोग द्वारा पिछड़े वर्ग की जाति जनगणना में कुर्मी आबादी को कम बताना राजनीतिक साजिश है. उनका कहना है कि राजनीतिक दृष्टिकोण से कूर्मि समाज को कम आंकने के लिए ऐसा किया गया है.

राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में पर्याप्त अवसर न मिले जो कुर्मी समाज को कमजोर करने की एक साजिश है. इसे लेकर कुर्मी समाज में काफी आक्रोश है. समिति ने छत्तीसगढ़ शासन से तत्काल डाटा आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है. मांग नहीं माने जाने पर उन्होंने प्रदेश स्तरीय आंदोलन की चेतावनी दी है.

यह भी कहना है कि भ्रामक जानकारी को अगर सरकार सही मानती है तो स्वीकार करें और रिपोर्ट सार्वजनिक करे अन्यथा प्रकाशित खबर का मुख्यमंत्री खंडन करें. समाज के लोगों ने यह भी मांग की है कि जो आंकड़े सामने लाए जा रहे हैं वह गलत हैं उसे सुधारा जाए. समाज के प्रतिनिधित्व को कमजोर करने के लिए इस तरह जनसंख्या कम दिखाकर सरकार पर समाज ने परेशान करने का आरोप लगाया है.

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