छत्तीसगढ. ऊर्जाधानी कोरबा में रेल प्रशासन द्वारा निरंतर की जा रही उपेक्षा से यहां के लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। यहां की सांसद ज्योत्सना महंत इस क्षेत्र की उपेक्षा से काफी नाराज हैं। उन्होंने बताया कि रेल मंत्री से मुलाकात कर कोरबा वासियों की समस्याओं से अवगत करा दिया गया है। ट्रेनों की लेटलतीफी और बंद ट्रेनों को शुरु करने समेत अनेक मांगों को रेल मंत्री के समक्ष रख दिया गया है।
रेलवे के खिलाफ लोगों में आक्रोश
कोरबा क्षेत्र का आम आदमी रेल सुविधाओं के नाम पर इतना छला जा रहा है कि रेलवे का नाम आते ही सब के मुंह से खरीखोटी ही निकलती है। दरअसल वजह स्पष्ट है, अधिकांश ट्रेने बंद है जो चल भी रही हैं, उन्हें कहीं भी खड़ा कर पहले माल गाड़ियों को निकाला जाता है। उसके बाद ही यात्री गाड़ियों का नंबर आता है। यात्रियों को कोरबा से चलने वाली गाड़ियों से चांपा-बिलासपुर और रायपुर पहुंचकर अन्य ट्रेन या विमान से यात्रा करनी होती है तो वह समय पर पहुंच ही नहीं पाते है। उन्हें अपनी यात्रा बीच में ही रद्द करनी पड़ रही है।
आमलोगों की इस परेशानी से कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत खासी नाराज है। उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले को लेकर रेल मंत्री से चर्चा की है। ज्योत्सना महंत से जब यह पूछा गया कि कोरबा की जनता यदि पुनः एक राय होकर आंदोलन करती है तो उसमें आप साथ होंगी इस पर उनका कहना है कि, वे जनप्रतिनिधि हैं, जनहित में वे साथ हैं और हमेशा साथ रहेंगी।
यहां से रेलवे को होती है सर्वाधिक आय
गौरतलब है कि, कोरबा से रेल मंत्रालय को देश में सर्वाधिक आय मिलती है। यहां से माल गाड़ियों के जरिए पूरे देश में कोयला भेजा जाता है। माल गाड़ियों के कारण तमाम समस्याओं का सामना करने वाला कोरबा वासी रेल सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है जो सुविधाएं दबाव में आकर रेल प्रबंधन देता भी है। उसका भी लाभ लोगों को कम ही मिल पा रहा है। यही कारण है कि कोरबा का आम आदमी हो अथवा खास सबके मन में रेल प्रबंधन के प्रति गुस्सा एवं आक्रोश है।
बहरहाल कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत के कठोर रुख को देखते हुए रेल प्रबंधन क्या कदम उठाता है। यह तो आने वाला समय ही तय करेगा। लेकिन रेलवे ने यदि मांगों पर गौर नहीं किया तो फिर से आम जनता कोरबा विकास समिति के बैनर तले सभी सियासी दल, श्रमिक संगठन ,सामाजिक संगठन, गणमान्य और प्रबुद्ध लोगों के साथ मिलकर आंदोलन करने के लिए एस मंच पर आने के लिए मजबूर होंगे।
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