जगदलपुर. छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के बीच चल रहे वाक् युद्ध के बीच आबकारी एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा का बड़ा बयान आया है. उन्होंने जगदलपुर में कहा कि मेरे जिंदा रहते बस्तर में कभी शराबबंदी नहीं होगी. यह आदिवासी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. डॉ. रमन पर कटाक्ष किया कि उन्होंने कभी बोरा नहीं उठाया है, वे मजदूरों का दर्द, उनका परिश्रम क्या जानेंगे.
मंत्री कवासी लखमा यहां लालबाग मैदान में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे. इस दौरान शराबबंदी को लेकर उनसे प्रश्न पूछे गए. तब उन्होंने कहा कि बस्तर में पांचवीं अनुसूची और पेसा कानून लागू है और ग्रामसभा को बड़े निर्णय लेने का अधिकार है. यहां ग्रामसभा की अनुमति के बिना शराबबंदी न केंद्र और न राज्य सरकार ही कर सकती. ग्रामसभा जब चाहेगी तभी यहां शराबबंदी हो सकती है. वहीं उनका कहना था कि उन्हें विश्वास है कि ग्रामसभा और सर्व आदिवासी समाज इसका समर्थन नहीं करेगा.
सीएम का किया समर्थन
चर्चा के दौरान मंत्री लखमा ने बीते शुक्रवार को शराबबंदी को लेकर दिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि सीएम ने कहा है कि लोग पीना छोड़ दें तो अभी शराबबंदी कर दूंगा इसमें कुछ भी गलत नहीं है. लेकिन, छत्तीसगढ़ के शेष हिस्से से बस्तर की स्थितियां अलग हैं. यहां की आदिवासी संस्कृति में धार्मिक अनुष्ठान से लेकर सामाजिक कार्यक्रमों में शराब का उपयोग करने की परंपरा है. यहां के लोग परिश्रमी हैं और इनमें कई दिनभर मेहनत मजदूरी के बाद शराब पीते हैं और थकान मिटाते हैं.
मुझे पता है परिश्रम, थोड़ा पीने में नहीं मरता कोई
मंत्री ने कहा कि वे भी ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासी हैं और तेंदूपत्ता तोड़ने से लेकर मिट्टी खोदने जैसे काम उन्होंने किया है. उन्हें पता है कि इन कामों में कितना परिश्रम करना पड़ता है. विदेशों में सब के सब शराब पीते हैं. जबकि बस्तर में 90 प्रतिशत लोग पीते हैं. लेकिन शराब पीने का तरीका नहीं जान रहे हैं. थोड़ी मात्रा में शराब पीने से कोई नहीं मरता. ज्यादा पीना नुकसानदेह है. यहां के परिश्रमी लोग शराब का सेवन दवाई के रूप में करते हैं.
डॉ. रमन ने बोरा उठाने का काम नहीं किया
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के उस बयान पर भी लखमा ने कटाक्ष किया जिसमें उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल शराबबंदी के मुद्दे पर कहा था. बोले कि रमन सिंह ने कभी बोरा उठाने का काम नहीं किया है. इसीलिए उन्हें मजदूर के परिश्रम की जानकारी नहीं है.
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