बिलासपुर. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जोगी (जकांछ जोगी) यानी JCC को बिलासपुर से बड़ा झटका लगा है. यहां पार्टी से जुड़े कई बड़े दिग्गज पदाधिकारियों के साथ ही कार्यकर्ताओं को मिलाकर कुल 500 लोगों ने सामूहिक रूप से पार्टी छोड़ दिया है. उन्होंने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये जानकारी मीडिया को दी है. इस दौरान उन्होंने बताया कि पार्टी सुप्रीमो स्व. अजीत जोगी के निधन के बाद प्रदेशाध्यक्ष की निष्क्रियता व विचारों का अभाव देखकर उन्होंने ये फैसला लिया है.
इस्तीफा देने वालों में लोस अध्यक्ष व प्रदेश सचिव भी शामिल
पार्टी से इस्तीफा देने वालों में करण मधुकर प्रदेश सचिव, कोर कमेटी सदस्य, मस्तूरी विधानसभा प्रभारी व बिलासपुर लोकसभा अध्यक्ष, जिला शहर अध्यक्ष बॉबीराज अजीत युवा मोर्चा, गुड्डा कश्यप उपाध्यक्ष जिला ग्रामीण, मनीष बबलू जार्ज प्रदेश संगठन मंत्री अल्पसंख्यक विभाग, ललिता भारद्वाज बिलासपुर महिला जिला अध्यक्ष, बृज किशोर गावस्कर जिला उपाध्यक्ष, सीतादेवी जिला महामंत्री महिला विंग, रमा रात्रे जिला महामंत्री, महिला विंग, फूल चंद लहरे, विवेक डाहीरे, रोहित बंजारे, कुलदीप साहू सहित लगभग 500 से अधिक कार्यकर्ता शामिल हैं.
ये बताया कारण
पदाधिकारियों ने प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि पार्टी के संस्थापक व सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद पार्टी में विचारों का अभाव बना हुआ है. प्रदेश अध्यक्ष की निष्क्रियता और नेतृत्व संकट से निराश होकर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विभिन्न पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की है.
नेतृत्व संकट ने किया निराश
करण मधुकर ने बताया कि स्व. अजीत जोगी ने 26 जून 2016 को कांग्रेस से अलग छत्तीसगढ़ जनता जे पार्टी का गठन किया था. प्रदेश की अस्मिता और छत्तीसगढ़ियों के सम्मान के लिए बनाई गई इस पार्टी में उनके सहित हजारों लोगों ने सदस्यता ली थी. जब तक वह जीवित रहे पार्टी लगातार बढ़ती गई, लेकिन उनके निधन के बाद पार्टी में नेतृत्व क्षमता की कमी के चलते एक-एक कर छोटे बड़े सभी पदाधिकारी पार्टी छोड़कर जिम्मेदारियों से मुक्त होते जा रहे हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की निष्क्रियता और पार्टी के बेहतरी के लिए किसी तरह का कार्यक्रम ना बनना, नेतृत्व क्षमता का संकट होने के कारण उन्होंने ये निर्णय लिया है.
भविष्य क्या, नहीं बताया
पत्रकारों से चर्चा करते हुए मधुकर ने बताया कि पार्टी के हालात को देखते हुए अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए उन्होंने इस तरह का कदम उठाया है. लेकिन, वे सभी किस पार्टी में जा रहे हैं इस बात की जानकारी नहीं दी है. अब देखने वाली बात ये है कि ये 500 लोगों की एकजुटता कायम रहती है या नहीं. उसी आधार पर किसी एक पार्टी में शामिल होने की संभावनाओं के साथ किसी पार्टी से बुलावे की उम्मीद भी उन्हें रहेगी.
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