रायपुर. अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर राजधानी रायपुर की सड़कों पर प्रदेशभर से आए दिव्यांगजन अपनी मांगों के साथ उतरे. न्याय और अधिकारों की लड़ाई में उनका यह प्रदर्शन एक चेतावनी है कि दिव्यांगजन की अनदेखी अब और बर्दाश्त नहीं होगी. जैसे ही प्रदर्शनकारियों ने सड़कों का रुख किया, पुलिस ने उन्हें रोक दिया. इसके बावजूद दिव्यांगों ने अपनी मांगें स्पष्ट रूप से रखीं और शासन से ठोस कार्यवाही की अपील की.
प्रदर्शनकारियों ने अपनी छह सूत्रीय मांगों को सामने रखते हुए बताया कि फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे लोगों की जांच कर उन्हें बर्खास्त किया जाए. साथ ही, दिव्यांगजन के लिए ₹5000 मासिक पेंशन की व्यवस्था, बीपीएल की बाध्यता समाप्त करना और अविवाहित दिव्यांग महिलाओं को महतारी वंदना योजना में शामिल करने की मांग की गई है.
विशेष भर्ती अभियान की गुहार
दिव्यांग समुदाय ने सरकार से विशेष भर्ती अभियान चलाने की अपील की, जिससे बेरोजगार दिव्यांगों को रोजगार का अवसर मिले. उनका कहना है कि बिना गारंटी के लोन की सुविधा और कोरोना से पहले लिए गए सभी ऋण माफ करने से दिव्यांगजन आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं.
न्याय की आस में छूटते धैर्य की कहानी
दिव्यांगजनों का यह प्रदर्शन सरकार और समाज के लिए एक बड़ा संदेश है. उनका दर्द और समस्याएं केवल सहानुभूति से नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने से हल होंगी. उनका कहना है कि दिव्यांग कर्मियों के लिए पदोन्नति में 4% आरक्षण सुनिश्चित करना उनके भविष्य को संवार सकता है.
अंतरराष्ट्रीय दिवस पर जागरूकता का प्रतीक
दिव्यांगजन ने आज का दिन इसलिए चुना, ताकि इस खास मौके पर उनकी आवाज दूर-दूर तक पहुंचे. इस प्रदर्शन ने यह स्पष्ट किया कि दिव्यांगजन अपने अधिकारों के लिए जागरूक हैं और उन्हें अब अनदेखा करना मुश्किल होगा. यह दिन उनके संघर्ष और हौसले का प्रतीक बन गया.
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