कोरबा। बेटा और बेटी एक समान है और आज बेटियां भी बेटों से कंधे से कंधा मिलाकर चुनौतियों को पार कर रही हैं। तो फिर परंपराओं की बेड़ियों में हम बेटियों को क्यों पीछे धकेलें। इस सोच को आगे बढ़ाया है छत्तीसगढ़ के कोरबा की तीन बेटियों ने। पिता का निधन होने के बाद उन्होंने न सिर्फ उन्हें मुखाग्नि दी है, बल्कि अब आगे की सभी परंपराओं का निर्वहन भी वे बेटों की तरह ही निभाने को कृतसंकल्पित हैं। वहीं बेटियों की इस पहल का लोगों ने भी खुलकर समर्थन दिया है और ये चर्चा का विषय भी बन गया है।
आपको बता दें कि हिंदू धर्म में माता-पिता के निधन के बाद उनकी चिता को मुखाग्नि देने का अधिकार सिर्फ पुत्र को ही होने की बात कही जाती है। कोरबा शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति अमर कृष्ण बनर्जी की तीन पुत्रियां हैं और उनके कोई पुत्र नहीं हैं। उनके निधन बाद उनकी चिता को उनकी उन्हीं तीनों पुत्रियों ने मुखाग्नि दी है और अपना धर्म निभाया है।
अब इन बेटियों ने का कहना है कि अगले 10 दिनों तक कई और रस्में निभाई जाएंगी। उनका निर्वहन भी वे स्वयं करेंगी। इसमें श्राद्ध कर्म भी शामिल है। आपको बता दें कि हिंदू धर्म में इसे लेकर परंपरा रही है कि अंतिम संस्कार से लेकर श्राद्ध कर्म तक के सभी कर्मकांड पुत्रों द्वारा ही किया जाता रहा है, लेकिन पुत्र नहीं होने की स्थिति में इन पुत्रियों ने यह सब कार्य करने की ठानी है।
कोरबा शहर में ये पहली बार नहीं हुआ है, जब अपने माता या पिता की चिता को किसी पुत्री ने मुखाग्नि दी हो। इससे पहले भी समाज के बनाए नियमों को तोड़ते हुए बेटियों ने ऐसी पहल की है। इसी कड़ी में ये बेटियां भी आगे आई हैं। पिता को मुखाग्नि देने के साथ ही उन्होंने अपने पिता की अस्थियों को शिवरीनारायण में महानदी में प्रवाहित कर अस्थि विसर्जन भी किया है।
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