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कुठेलाभाठा कैंपस में शिफ्ट होगा IIT भिलाई, रिसर्च और इनोवेशन के लिए अब रिसोर्स नहीं पड़ेंगे कम

 Newsbaji  |  Feb 01, 2023 05:49 PM  | 
Last Updated : Feb 01, 2023 05:49 PM
आईआईटी भिलाई का नया कैंपस नए सत्र से होगा गुलजार।
आईआईटी भिलाई का नया कैंपस नए सत्र से होगा गुलजार।

भिलाई. आईआईटी भिलाई नए सत्र 2023—24 की शुरुआत से अपने नए कैंपस कुठेलापाठा में संचालित होने लगेगा। जून तक यहां शिफ्टिंग का काम पूरा कर लेने का दावा प्रबंधन की ओर से किया गया है। साथ ही ये भी जानकारी दी गई है कि तमाम सुविधाएं व संसाधन विकसित करने के बाद अब सिर्फ पानी की व्यवस्था बाकी रह गई है, जो जल्द ही पूरी हो जाएगी। वहीं पर्याप्त संसाधन होने से नए कैंपस में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि इसके लिए यहां जगह और संसाधनों की कमी नहीं रहेगी।

आपको बता दें कि पूर्व में केंद्रीय बजट में आईआईटी भिलाई की घोषणा की गई थी। लेकिन, जब इसकी शुरुआत करने की बारी आई तो भिलाई में ऐसी कोई बिल्डिंग या कैंपस नहीं मिला, जहां तत्कालिक रूप से इसे शुरू कराया जा सके। तब राजधानी रायपुर के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज यानी जीईसी में इसकी शुरुआत साल 2016 में की गई थी। बीते करीब छह सालों में यहां जगह और अन्य संसाधनों की कमी से पाठ्यक्रम तो संचालित होते रहे और शोध के कार्य भी जारी रहे, लेकिन उम्मीद के अनुरूप सफलताएं कम ही मिल रही थीं। लेकिन, अब उम्मीद की जा रही है कि नए कैंपस में इन सभी के लिए पर्याप्त जगह मिलने के अलावा संसाधन भी पूरे मिलेंगे। इससे काम आसान हो जाएगा और उसके सार्थक परिणाम भी मिलेंगे।

तैयारियां पूरी
नए कैंपस दुर्ग के कुठेलाभाठा में बिल्डिंग निर्माण का कार्य पूरा करने के बाद फर्निशिंग व डेकोरेशन का काम भी पूरा हो चुका है। इसके अलावा इलेक्ट्रिसिटी व लैब निर्माण के काम भी हो चुके हैं। पानी की व्यवस्था भी कुछ ​ही दिनों में हो जाएगी तब सिर्फ शिफ्टिंग ही बाकी रह जाएगी। ऐसे में पूरी उम्मीद है कि जून तक ये काम भी हो जाएगा और नए सत्र में नया कैंपस गुलजार हो जाएगा। 

शोध और नवाचार को मिलेगा बढ़ावा: रजिस्ट्रार
वर्तमान में यहां बीटेक की 150 सीटें हैं। इसके साथ ही एमटेक भी विभिन्न विषयों के संचालित होते हैं। साथ ही पीएचडी के लिए भी यहां विकल्प हैं। हालांकि अब तक यहां कोई उल्लेखनीय नवाचार सामने नहीं आ पाया था, जो नई जगह से संभावित है। इस बारे में आईआईटी के रजिस्ट्रार डॉ. जयेशचंद्र एस. पाई का भी मानना है कि नए सत्र से नए कैंपस में शोध और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

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