रायपुर. छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या घटती जा रही है. नए आंकड़े में 2 और कम हो गए हैं. भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ सुरक्षा प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India) देहरादून ने मिलकर आंकड़ा तैयार किया है, उसके मुताबिक अब छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या 17 रह गई है. इधर, राज्य सरकार ने प्रदेश के जंगलों में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए एक नई कवायद शुरू की है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि इसका सकारात्मक परिणाम भविष्य में देखने को मिलेगा.
पहले आंकड़ों की बात करें तो दोनों संस्थाओं ने देशभर के विभिन्न राज्यों में बाघों की संख्या तो सार्वजनिक की ही है, इसके साथ ही राज्यवार अलग-अलग सालों में की गई गणना के आधार पर उन सालों में बाघों की मौजूदगी का भी जिक्र किया है. इसमें छत्तीसगढ़ राज्य भी शामिल है.
2014 में बढ़कर हुए थे 46
बता दें कि छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या पहले चिंताजनक थी. इसके बाद उनके ग्रोथ व सुरक्षा के प्रयास तेज किए गए. इसके नतीजे 2014 की गणना में सामने आए थे जब प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़कर 46 हो गई थी. जबकि 2006 और 2010 में उनकी संख्या महज 26 थी.
2018 से शुरू हुई गिरावट
इसके बाद गिरावट का दौर शुरू हो गया. यही वजह रही कि वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ के जंगलों में बाघों की संख्या घटकर 19 रह गई. वहीं अब जो 2022 का आंकड़ा सामने आया है तो पता चला है कि यहां बाघों की संख्या 17 रह गई है. यानी स्थिति चिंताजनक हो गई है.
यहां देखें लिस्ट
ऐसे बढ़ाएंगे बाघों का कुनबा
इधर, प्रदेश में बाघों का कुनबा बढ़ाने वन विभाग ने नई योजना तैयार की है. इसके तहत ग्लोबल टाइगर फोरम संस्थान से अनुबंध किया गया है. दोनों मिलकर बाघों के अनुकूल रहवास की पहचान कर रहे हैं. इसमें एटीआर यानी अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर जोन के 78.78 वर्ग किलोमीटर में 25 गांवों को शिफ्टिंग कर 2 मादा और एक नर बाघ छोड़ा जाएगा. महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से ये बाघ लाए जाएंगे.
शुरुआत में यहां एक मादा बाघ को कॉलर आईडी पहनाकर छोड़ा गया है. उसके जरिए बाघ के अनुकूल रहवास का पता लगाया जा रहा है. साथ ही यहां के मैदानी अमले को एमपी के पन्ना टाइगर रिजर्व से ट्रेनिंग भी दिलाई गई है.
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