रायपुर। छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई का मामला अब विश्व के पटल पर आ गया है। इसे लेकर दुनियाभर के लोग विरोध प्रदर्शन करना शुरु कर दिए है। जंगल को काटकर कोयला उत्खनन की नीति के खिलाफ कई देश इसका विरोध कर रहे है। जिसमें ब्राजील, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा समेत कई देशों में प्रदर्शनकारियों ने भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन कर विरोध जताना शुरु कर दिया है। सरकार की नीतियों का घोर विरोध किया जा रहा है।
दुनियाभर में विरोध प्रदर्शन शुरु
दुनियाभर में आदिवासी अधिकारों और पर्यावरण के लिए काम कर रही संस्थाओं ने सरगुजा के आदिवासियों के आंदोलन को समर्थन किया है। इसके लिए दुनियाभर के संगठनों ने छोटे-छोटे समूहों में प्रदर्शन किए। आस्ट्रेलिया में सिडनी ओपेरा हाउस के पास,लंदन के प्रसिद्ध इंडिया हाउस, अमेरिका के वाशिंगटन डीसी स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल, कनाडा और ब्राजील के भारतीय दूतावासों के पास इक्कठा होकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में नारे लिखी तख्तियां ले रखी थीं। इसमें सेव हसदेव, आदिवासी लाइव्स मैटर, सपोर्ट आदिवासी राइट्स, डोंट माइन आदिवासी राइट्स और नो कोल जैसे स्लोगन थे।
जानकारी के मुताबिक, कोयला उत्खननके लिए साढ़े चार लाख पेड़ों को काटा जाना है। हसदेव अरण्य जैव विविधता के मामले में काफी संपन्न है और पिछले एक दशक से ज्यादा समय से यहां खनन को लेकर विवाद रहा है। एक दशक पहले केंद्र सरकार ने ही इसे 'नो गो' क्षेत्र घोषित किया था।
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