कोरबा. हसदेव अरण्य क्षेत्र यानी वह क्षेत्र जहां कोल ब्लॉक आवंटन और जंगल की कटाई को लेकर बवाल मचा हुआ है, वहां मामला तो अभी नहीं सुलझा है. बड़ी बात ये कि यहां के 17 गांवों की ग्राम पंचायतों को वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत अपने जंगलों की सुरक्षा, संरक्षण और प्रबंधन के लिए सामुदायिक वन प्रबंधन (सीएफएम) का अधिकार प्रदान कर दिया गया है. इसके तहत वनोपज समेत अन्य मामलों में यहां के जंगल पर फैसले लेने का अधिकार उन्हें मिल गया है.
बता दें कि प्रदेश में करीब 78 लाख आदिवासी जंगल के अंदर या आसपास निवास करते हैं. इनकी संख्या राज्य के पूरे भौगोलिक क्षेत्र का 45 प्रतिशत है. अधिकांश जंगलों पर ही निर्भर हैं. ये वनों से मिलने वाली वनोपज दैनिक उपयोग के साधन, चराई और सांस्कृतिक पहचान सभी वनों पर ही आधारित है. वहीं प्रदेश का करीब 61 प्रतिशत हिस्सा 5वीं अनुसूचित क्षेत्र के अंतर्गत आता है.
इसे ही ध्यान में रखते हुए अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) कानून-2006 लागू किया गया है. वहीं अब इसी के तहत राज्य सरकार ने फैसला लिया है और हसदेव अरण्य क्षेत्र के 17 गांवों के लिए ये कानून लागू कर दिया गया है.
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