रायपुर. छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन द्वारा आरक्षण संशोधन विधेयक को राज्य सरकार को लौटा दिए जाने की खबर तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें कहा जा रहा है कि इससे कांग्रेसनीत प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है. साथ ही प्रदेश में आरक्षण लागू नहीं होने से विभिन्न विभागों में नई नियुक्ति व भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई हैं, उस पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इन सबके बीच राजभवन ने इस खबर का खंडन किया है और कहा है कि फिलहाल ऐसा कुछ नहीं हुआ है.
बता दें कि राज्यपाल द्वारा विधेयक लौटाए जाने की खबर पर मंत्री रवींद्र चौबे का भी बयान आया है, जिसमें उन्होंने भी इस खबर को भ्रामक बताया है. माना जा रहा है कि झारखंड में इसी तरह का घटनाक्रम हुआ है तो इसी से गलतफहमी हुई होगी. बहरहाल ऐसा कुछ यहां के मामले में नहीं हुआ है.
ये है असल मामला
छत्तीसगढ़ में पूर्व में बीजेपी शासनकाल में आरक्षण को बढ़ाकर 58 प्रतिशत कर दिया गया था. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था. तब से यहां आरक्षण लागू नहीं है और सरकार ने नया व संशोधित आरक्षण विधेयक तैयार किया है.
इसमें आरक्षण बढ़कर 76 प्रतिशत हो जाएगा. विधानसभा से पारित होने के बाद इसे राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए राजभवन भेजा गया है. वहां तत्कालीन राज्यपाल अनुसुईया उईके ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया और मामले को रोके रखा था. इसे लेकर राज्य सरकार और राजभवन के बीच खींचतान का मामला भी सामने आया था. अब वर्तमान राज्यपाल विश्वभूषण के पास भी मामला पेंडिंग ही है. वहींं अब विधेयक को बिना हस्ताक्षर के ही लौटा देने की खबर से मामला फिर से चर्चा का केंद्र बन गया है.
झारखंड के राज्यपाल ने भी लौटाया
इससे पहले आरक्षण संशोधन विधेयक को झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने भी लौटा दिया था. इसके बाद से छत्तीसगढ़ में भी ऐसा ही होने के कयास लगाए जा रहे थे. आखिर हुआ भी वही. बता दें कि वहां राज्यपाल ने अटार्नी जनरल के उस मंतव्य का हवाला दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि आरक्षण सीमा बढ़ाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध है. इसके साथ ही झारखंड सरकार की चिंता बढ़ गई है. अब छत्तीसगढ़ के संदर्भ में देखा जाए तो यहां भी आरक्षण संशोधन विधेयक राज्यपाल के पास पेंडिंग है. इस मामले को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार की भी चिंता बढ़ गई है. हालांकि यहां अभी अनिर्णय की स्थिति है.
वहां के विधेयक में ये प्रावधान
झारखंड सरकार ने वहां जो आरक्षण संशोधन विधेयक तैयार किया है उसमें पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 28 और अनुसूचित जाति को 12 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. इससे वहां कुल आरक्षण 67 प्रतिशत हो जाएगा. जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती. इससे ज्यादा के आरक्षण को असंवैधानिक माना गया है. यही तर्क अटार्नी जनरल ने अपने मंतव्य में दिया है, जिसकी बीना पर राज्यपा राधाकृष्णन ने विधेयक लौटा दिया है.
सीमेंट फैक्ट्री में काम करते रात में गायब हुआ मजदूर, सुबह सेलो में मिली लाश
कल्याण कॉलेज भिलाई में संविधान दिवस पर समारोह, प्राध्यापकों व कैडेट्स ने ली शपथ
फेसबुक पर की दोस्ती, फिर अश्लील वीडियो मांगकर ब्लैकमेलिंग, ठग लिए 21 लाख
Copyright © 2021 Newsbaji || Website Design by Ayodhya Webosoft