अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिकापुर स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) परिसर में एक चार वर्षीय बालिका की मौत का मामला सामने आया था. पुलिस ने अब तत्कालीन प्राचार्य शशि सिंह के खिलाफ धारा 304 (ए) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है. यह मामला तीन महीने तक चली जांच के बाद उजागर हुआ, जिसमें पुलिस ने पाया कि डाइट परिसर की भूमिगत पानी टंकी का ढक्कन न होने के कारण यह हादसा हुआ था.
बता दें कि बीते 12 मार्च को लखनपुर के बेलदगी भण्डारपारा की शिक्षिका कलावती प्रशिक्षण के लिए डाइट अंबिकापुर आई हुई थीं. प्रशिक्षण के दौरान उनकी चार वर्षीय बेटी ध्वनि परिसर में खेल रही थी. अचानक, ध्वनि गायब हो गई और खोजबीन के बाद पता चला कि वह पानी टंकी में गिर गई थी. जांच में पाया गया कि पानी टंकी काे टूटे हुए बेंच के पटरे से असुरक्षित तरीके से ढंका गया था. ध्वनि के उस पर पैर रखते ही वह असंतुलित होकर पानी में गिर गई, जिससे उसकी मौत हो गई.
जांच के बाद एफआईआर
घटना के बाद पीड़ित परिवार ने न्यायालय में अधिवक्ता के माध्यम से परिवाद दाखिल किया, जिसमें संस्थान की लापरवाही के आरोप लगाए गए. न्यायालय के दबाव में, पुलिस ने जांच को तेजी से आगे बढ़ाया और लगभग तीन महीने बाद, तत्कालीन प्राचार्य शशि सिंह के खिलाफ धारा 304 (ए) के तहत एफआईआर दर्ज की. भारतीय दंड संहिता की यह धारा लापरवाही से हुई मौत के मामलों पर लागू होती है, जिसमें दो साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
जांच में ये बातें भी आईं सामने
• लोक निर्माण विभाग ने मरम्मत के नाम पर बड़ी राशि खर्च की, लेकिन भूमिगत पानी टंकी का मजबूत ढक्कन नहीं लगाया.
• संस्था प्रबंधन ने तत्काल सीसीटीवी कैमरों की जांच नहीं की, जिससे बालिका लंबे समय तक पानी टंकी में डूबी रही.
• पानी टंकी के आसपास कोई सुरक्षा घेरे या चेतावनी संकेतक नहीं लगाए गए थे.
भविष्य की सुरक्षा के उपाय
यह घटना एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है, जो सुरक्षा मानकों के अभाव के कारण घटित हुई. इस हादसे ने प्रशासन और संस्थानों को सतर्क किया है कि वे अपने परिसरों में सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करें. पानी टंकी जैसी संवेदनशील जगहों पर मजबूत ढक्कन, सुरक्षा घेरा और चेतावनी संकेतक आवश्यक हैं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके.
इस घटना ने यह भी सिद्ध किया कि संस्थान के प्रबंधन और प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं और पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाता है या नहीं.
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