लैलूंगा. महतारी एक्सप्रेस, संजीवनी एक्सप्रेस जैसी इमरजेंसी सेवाओं का लाभ लेना जहां मोबाइल नेटवर्क के बिना संभव नहीं है, वहीं राशन से लेकर पुलिस की मदद लेना हो तो भी यह अनिवार्य है. लेकिन, छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के लैलूंगा जनपद पंचायत की गंजपुर पंचायत तक किसी भी कंपनी के नेटवर्क का कवरेज ही नहीं पहुंचता. लोगों के लिए मोबाइल बेमानी चीज हो गई है. पंचायत के प्रतिनिधि इस समस्या से अवगत कराते रह गए, लेकिन सरकार का नंबर है कि उनके लिए हमेशा व्यस्त ही है.
जी हां, मोबाइल के इस युग में जहां ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया जा रहा है वहां कोरोनाकाल में गंजपुर के बच्चे इससे भी वंचित रहे. आपात स्थिति में किसी को जल्द अस्पताल पहुंचाना हो तो गांव में ही जो गाड़ी मिल जाए उसी में ले जाना पड़ता है. जबकि एंबुलेंस में मिलने वाली जीवन रक्षक उपकरणों की सुविधा नहीं रहती और जान आफत में आ जाती है. जबकि ये गांव लैलूंगा से महज 20 किलोमीटर दूर है.
थोप रहीं सरकारें, सुविधा देने में पीछे
बता दें कि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, वे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सभी चीजों में कर रही हैं. लेकिन मूलभूत आवश्यकताओं को दरकिनार किए हुए योजनाओं को ग्रामीणों पर थोप दिया जाता है. गंजपुर का मामला कुछ ऐसा है कि राशन लेना हो या अस्पताल की सुविधा, पुलिस भी अब एक फोन में उपलब्ध है. यहां तक की सरकार तुहर द्वार भी योजना चली लेकिन, आज भी ये गांव इन सुविधाओं से वंचित रहा. कारण सिर्फ एक है कि यहां किसी भी कंपनी का मोबाइल नेटवर्क नहीं है. दरअसल ग्राम पंचायत गंजपुर सुदूर आदिवासी इलाका है. यहां पर किसी भी तरह से कोई भी मोबाइल नेटवर्क नहीं है. इसके चलते एक बड़ी आबादी को उसके दुष्प्रभाव का दंश झेलना पड़ रहा है.
सभी शासकीय योजना होते हैं ऑनलाइन
पंचायत में सभी शासकीय योजना आजकल ऑनलाइन होने लगे हैं जिसका लाभ लेने के लिए कई सारे ऐप्स और ई-पॉस जैसी मशीनें हैं. राशन लेने के लिए भी ई-पॉस में अंगूठा लगाना पड़ता है. इसमें नेटवर्क की जरूरत होती है तो वहीं किसी अनहोनी के लिए 108 के साथ अस्पताल की महतारी योजना और आपातकाल के लिए 112 को 3 किलोमीटर दूर जाकर मोबाइल नेटवर्क खोज करके काल करना होता है. तब जाकर कुछ सुविधा मिल पाती है. स्कूली बच्चों से लेकर मनरेगा में मजदूरी और कामों का जियो टैग के बिना भी बमुश्किल संभव हो पाता है.
सालों से प्रयासरत हैं सरपंच और ग्रामीण
इस समस्या को लेकर गांव के लोग प्रशासन से लेकर विधायक व सांसद तक से कई बार मिन्नत कर चुके हैं. लेकिन, इनकी फरियाद अब तक नहीं लग पाई है. किसी ने भी उनकी मांग को गंभीरता से नहीं उठाया है और न ही किसी तरह की पहल ही की जा रही है.
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