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पुलिस जिसे मान रही मुख्य साजिशकर्ता उसे नहीं पहचान पाए सुकमा के पूर्व कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन

 Newsbaji  |  Feb 02, 2023 12:37 PM  | 
Last Updated : Feb 02, 2023 12:37 PM
सुकमा के पूर्व कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन जिनका नक्सलियों ने 2012 में अपहरण कर लिया था।
सुकमा के पूर्व कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन जिनका नक्सलियों ने 2012 में अपहरण कर लिया था।

सुकमा. जिले के सुदूर वनांचल में 11 साल पहले अपहृत हुए पूर्व कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन और पुलिस जिसे इस वारदात का मुख्य साजिशकर्ता मान रही है उस नक्सली को आमने—सामने किया गया। लेकिन, आईएएस मेनन उसे नहीं पहचान पाए। दंतेवाड़ा में एनआईए की विशेष अदालत में ये आमना—सामना हुआ और मेनन ने ये तक कह दिया कि वे इस मामले के और जो दूसरे आरोपी हैं उन्हें भी भविष्य में नहीं पहचान पाएंगे क्योंकि इस घटना को हुए काफी साल हो गए हैं।

दरअसल, पूर्व कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन के अपहरण मामले में बुधवार को दंतेवाड़ा एनआईए कोर्ट में बयान हुआ। इसके लिए उन्हें चेन्नई से बुलाया गया था। साथ ही जेल में बंद नक्सली आकाश उर्फ भीमा को परीक्षण के लिए कोर्ट में पेश किया गया। इसे पुलिस ने 2016 में गिरफ्तार किया था। आईएएस मेनन ने न सिर्फ उसे पहचाने से मना कर दिया, बल्कि ये तक कहा कि घटना काफी पुरानी है। ऐसे में वे अभियुक्त गणेश उईके, रमन्ना, पापा राव, विजय मड़कम आकाश, हुंगी, उर्मिला, मल्ला, निलेश, हिड़मा, हेमला भीमा उर्फ आकाश, मुकेश भीमा, देवा समेत 125 अन्य नक्सलियों को भी नहीं पहचान पाएंगे।

घटना का ऐसे सुनाया ब्यौरा
आईएएस एलेक्स पॉल मेनन ने विशेष न्यायाधीश दीपक कुमार देशलहरे के समक्ष बयान में घटना का ब्यौरा एक बार फिर दोहराया। इसमें उन्होंने बताया कि सुकमा जिले के केरलापाल के मांझीपारा में वे 21 अप्रैल 2012 को जल संरक्षण कार्यों के नक्शे का अवलोकन कर रहे थे। तभी गोली चलने की आवाज आई। अपने आपको बचाने वे जमीन पर लेट गए। इसके बाद शिविर में अफरातफरी मच गई और लोग इधर—उधर भागने लगे। 

उन्होंने देखा कि उनका एक गनमैन किशुन कुजूर जमीन पर पड़ा है। उसी समय किसी व्यक्ति ने कहा कि वे भाग जाए। वे अपनी गाड़ी से आगे जा रहे थे। तभी तीन से चार बंदूकधारी नकाबपोशों ने उनकी गाड़ी रोक दी। सभी को गाड़ी से उतरवा लिया और पूछा कि उनमें से कलेक्टर कौन है। मेनन आगे आए तो उनके हाथ को रस्सी से व आंख पर पट्टी बांधकर खींचते हुए उन्हें जंगल की ओर ले गए। करीब 10 मिनट बाद पट्टी खोली। आपको बता दें कि इस घटना के 12 दिन बाद मध्यस्थों के जरिए राज्य सरकार ने नक्सलियों से आईएएस मेनन की रिहाई कराई थी।

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