बलौदाबाजार. छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में स्थित बारनवापारा अभयारण्य में बाघ की खोज में जुटे वन विभाग की कोशिशें एक बार फिर नाकाम हो गई हैं. कुमकी हाथी पर बैठकर कॉलर आईडी पहनाने निकले तीन विशेषज्ञ दो महीने में भी बाघ का पता नहीं लगा सके. बारिश से जंगल घना और फिसलन भरा हो गया, जिससे ऑपरेशन को बंद करना पड़ा है.
चार महीने पहले बार नवापारा अभयारण्य में एक बाघ दिखाई दिया था, जिसके बाद वन विभाग ने उसकी गतिविधियों पर नजर रखने और उसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए ऑपरेशन शुरू किया. बाघ की तलाश में विशेषज्ञ टीम ने आधुनिक उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया, लेकिन बाघ का कोई सुराग नहीं मिल पाया.
बारिश बनी सबसे बड़ी चुनौती
बारिश ने वन विभाग की मुश्किलें और बढ़ा दीं. जंगल में घने पेड़ों और फिसलन भरी जमीन के कारण बाघ की तलाश करना बेहद कठिन हो गया. विशेषज्ञ टीम ने बताया कि बारिश के कारण जंगल में गाड़ियों और हाथियों का चलना मुश्किल हो गया. इसके अलावा, फिसलन भरी जमीन पर काम करना भी जोखिम भरा हो गया.
वन विभाग के अधिकारी ने बताया, "हमने हर संभव कोशिश की, लेकिन बारिश ने हमारी सारी योजना पर पानी फेर दिया. जंगल में अब काम करना सुरक्षित नहीं है, इसलिए ऑपरेशन को रोकना पड़ा है."
आधुनिक तकनीक का कर रहे थे उपयोग
बाघ की खोज के लिए विशेषज्ञों ने कुमकी हाथियों का सहारा लिया. कुमकी हाथी प्रशिक्षित होते हैं और वे जंगल में बाघ की तलाश में मददगार होते हैं. विशेषज्ञों ने बाघ पर नजर रखने के लिए कॉलर आईडी पहनाने की योजना बनाई थी, ताकि उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. लेकिन जंगल की कठिनाइयों के कारण यह योजना सफल नहीं हो सकी.
बाघ की गतिविधियों पर नजर
चार महीने पहले जब बाघ दिखाई दिया था, तब से ही वन विभाग उसकी गतिविधियों पर नजर रख रहा था. बाघ की सुरक्षा और उसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए विशेषज्ञ टीम ने हर संभव प्रयास किया. लेकिन बाघ की चतुराई और जंगल की कठिनाइयों ने वन विभाग की सारी कोशिशों को नाकाम कर दिया.
आगे की ये योजना
वन विभाग ने अब बारिश के मौसम के बाद फिर से ऑपरेशन शुरू करने की योजना बनाई है. बारिश के बाद जंगल की स्थिति बेहतर हो जाएगी और तब बाघ की तलाश करना संभव होगा. अधिकारी ने बताया, "हम बारिश के बाद फिर से ऑपरेशन शुरू करेंगे और बाघ को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की कोशिश करेंगे."
वन विभाग ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे बाघ की गतिविधियों पर नजर रखें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत वन विभाग को दें. इसके अलावा, वन विभाग ने जंगल में सुरक्षा उपायों को भी बढ़ा दिया है ताकि बाघ और अन्य वन्यजीव सुरक्षित रहें.
बार नवापारा अभयारण्य में बाघ की तलाश में वन विभाग की नाकामी से यह स्पष्ट हो गया है कि जंगल की कठिनाइयों और मौसम की विपरीत परिस्थितियों के कारण वन्यजीवों की सुरक्षा और उनकी गतिविधियों पर नजर रखना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. वन विभाग के अधिकारी और विशेषज्ञ हालांकि अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं और उम्मीद है कि बारिश के बाद वे फिर से ऑपरेशन शुरू करेंगे और बाघ को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में सफल होंगे.
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