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छत्तीसगढ़ में 84 दिन से किसान कर रहे आंदोलन, नवा रायपुर में 27 गांवों के किसानों का हल्लाबोल जारी

 Newsbaji  |  Mar 27, 2022 04:21 PM  | 
Last Updated : Jan 06, 2023 10:18 AM

छत्तीसगढ़. प्रदेश की राजधानी रायपुर से लगे नवा रायपुर के प्रभावित किसान कल्याण समिति का 8 सूत्री मांगों को लेकर 84वें दिन भी प्रदर्शन जारी है। लेकिन सरकार 6 मांगों को पूरा करना बताती है, जबकि किसान उसे छलावा बताते हुए लगातार आंदोलन कर रहे हैं। किसान क्रमिक भूख हड़ताल भी कर रहे हैं। कई दौर की बैठक के बावजूद नतीजा नहीं निकला है, धीरे-धीरे किसानों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। अब इस आंदोलन को समर्थन देने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी आने वाले है।

बता दें कि, नई राजधानी प्रभावित किसानों के आंदोलन को 84 दिन हो गए हैं। प्रभावित 27 गांवों के हजारों किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसान दो बार मंत्रालय का जाने निकले, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक लिया। इस बीच 11 मार्च को एक किसान सियाराम पटेल की तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। किसान समिति व आंदोलनरत किसान परिवारों के बीच बैठकों का दौर जारी है। आने वाले दिनों में आंदोलन को और अधिक तेज करने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत नवा रायपुर किसान आंदोलन शामिल होने वाले हैं। बहुत जल्द तिथि तय होने की बात संघ से जुड़े लोग बता रहे हैं। कुछ समय पहले दिल्ली में टिकैत से मुलाकात समिति के पदाधिकारी की हो चुकी है। तब उन्होंने आंदोलन में शामिल होने की सहमति दी थी। इधर किसान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपनी मांगों से अवगत करा चुके हैं। कैबिनेट मंत्रियों के साथ बैठक भी हो चुकी है। लेकिन सारी बैठकें किसी निर्णायक नतीजे तक नहीं पहुंच पाई।

धरनास्थल पर ही गांव की महिलाएं एवं अन्य लोग पूजा-पाठ करते हुए।

आंदोलन रहेगा जारी
समिति के अध्यक्ष रुपन चंद्राकर ने कहा कि, किसान आंदोलन को 84 दिन हो चुके है। नई राजधानी प्रभावित 12 गावों में शासन द्वारा सर्वे किया गया था। जिसमें से खपरी, कयाबाधां एवं झांझ दो पंचायत में पात्र-अपात्र की सूची चस्पा की गई है। अधिकतर 1200 वर्ग फीट विकसित भूखण्ड व सम्पूर्ण बसाहट का पट्टा बिना मापदंड के एकतरफा NRDA प्रबंधन द्वारा अपात्र कर दिया हैं। सर्वे में 10 गावों की सूची अभी तक चस्पा नहीं की गई है। मुख्य सचिव व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक हो चुकी है। करीब 10 दिन सात दिन का समय गुजर चुका है। लेकिन कोई सूचना नहीं आई, जिससे किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

इन 8 मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन
1. सन 2005 से स्वतंत्र भू क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए।
2. प्रभावित 27 ग्रामों के लिए घोषित नगरीय क्षेत्र की अधिसूचना निरस्त की जाए।
3. सम्पूर्ण ग्रामीणों को बसावट का पट्टा दिया जाए ।
4. प्रभावित क्षेत्र के प्रत्येक वयस्क व्यक्ति को 1200 वर्ग फीट विकसित भूखंड का वितरण किया जाए।
5. आपसी सहमति भू-अर्जन के तहत अर्जित भूमि के अनुपात में शुल्क आवंटन हो।
6. अर्जित भूमि पर वार्षिक राशि का भुगतान तत्काल किया जाए।
7. सशक्त समिति की 12वीं बैठक के निर्णयों का पूर्णतया पालन हो।
8. भू-स्वामियों को चार गुना मुआवजे का प्रावधान हो।

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