दुर्ग-भिलाई। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में भी हसदेव अरण्य को बचाने की मुहिम तेज हो रही है। यहां पर कोयला खनन के नाम पर प्राचीन एवं विशालकाय वृक्षों की कटाई से हर पर्यावरण प्रेमी चिंतित है। चारों तरफ से इसका विरोध होने लगा है। इसी कडी़ में हसदेव अरण्य को बचाने के लिए दुर्ग जिले के विभिन्न पर्यावरण प्रेमी संगठनों ने मिलकर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम दुर्ग जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर तत्काल हसदेव अरण्य के वृक्षों की कटाई पर रोक लगाने की मांग की है।
पर्यावरण पर पड़ेगा बड़ा असर
जिले के सभी संगठन के पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा है कि जहां छत्तीसगढ़ सरकार प्रतिवर्ष वृक्षारोपण कार्यक्रमों में प्रकृति को हरा-भरा करने के लिए हजारों करोड़ की राशि खर्च करती है। वहीं दूसरी ओर सैकड़ों वर्ष से तैयार वृक्षों को कोयला खनन के नाम पर अंधाधुंध काटा जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। जहां एक ओर जंगल प्रत्येक जीवों को प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करता है, वही यह जंगल बहुत से जीव जंतुओं को आश्रय भी प्रदान करता है। साथ ही साथ क्षेत्र के रहवासियों और वनवासियों के जीविकोपार्जन एवं विभिन्न प्रकार की औषधियों की भी पूर्ति करता है।
विनाश की तैयारी
हसदेव अरण्य क्षेत्र की समृद्धत्ता, पर्यावरणीय महत्व और उसकी आवश्यकता को समझते हुए भी केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर निजी कम्पनी व अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इसका विनाश कर रहीं है। हाल ही में नए परसा कोल ब्लॉक और पूर्व संचालित परसा ईस्ट केते बासेन कोल ब्लॉक के दूसरे चरण में खनन की अनुमति के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दी गई अंतिम वन स्वीकृति से लगभग 6 हजार एकड़ क्षेत्रफल में 4 लाख 50 हजार पेड़ों को काटा जाना तय हुआ है। जिसे लेकर वनों को चिंहित भी किया जा चुका है।
दुर्ग जिले के संगठन एकजुट
ज्ञापन सौंपने वालों में सृजनशील युवा एवं महिला मंडल पिसेगांव, आदर्श नवयुवक मंडल पोटिया, पर्यावरण मित्र मंडल भिलाई, छातागढ़ पर्यावरण संरक्षण एवं जनकल्याण समिति मोहलई, सृजन फाउंडेशन दुर्ग भिलाई, नवदृष्टि फाउंडेशन दुर्ग भिलाई, नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी दुर्ग भिलाई, एनवायरमेंट हीरोज अछोटी, हितवा संगवारी डुंडेरा, गायत्री परिवार दुर्ग और राइट थिंकिंग एसोसिएशन दुर्ग के पदाधिकारी गण शामिल रहे।
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