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छत्तीसगढ़ में हाथियों का तांडव, तोड़ रहे आदिवासी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के घर, उधर वन कर्मी है हड़ताल पर

 Newsbaji  |  Apr 03, 2022 01:29 PM  | 
Last Updated : Jan 06, 2023 10:18 AM

अंबिकापुर। एक तरफ जहां प्रदेश भर में वनकर्मी हड़ताल पर हैं। वहीं दूसरी ओर सरगुजा जिले में हाथियों के आतंक से ग्रामीण दहशत में जीने को मजबूर है।

हाथियों से ग्रामीणों की जान को खतरा
दरअसल, इन दिनों हाथियों का एक दल लखनपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत विचरण कर रहा है। बीती रात हाथियों के दल ने ग्राम लोटाढोढी में जमकर उत्पात मचाया है। जहां हाथियों ने 15 से 20 घरों को तोड़ दिया है। जबकि घरों में रखे अनाज को भी हाथी चट कर गए है। इधर गांव में हाथियों की उपस्थिति के बीच ग्रामीण शाम ढलते ही गांव छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाने को मजबूर हो रहे हैं। जबकि वन विभाग के कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने की वजह से ग्रामीणों को किसी भी तरह की मदद नहीं मिल पा रही है। ऐसे में ग्रामीणों के जान माल का खतरा भी बना हुआ है।

हाथियों ने गांव में घरों को तोड़ दिया।

दहशत में बीत रहे दिन
वहीं वनमंडलाधिकारी पंकज कमल का कहना है कि जिन इलाकों में हाथी विचरण कर रहे हैं। उन इलाकों में वन विभाग के अधिकारी नजरें बनाए हुए हैं। वही हाथी प्रभावित क्षेत्र में पहुंचकर अधिकारी ग्रामीणों को हाथियों से दूर रहने की समझाइश दे रहे है। गौरतलब है कि लखनपुर वन परीक्षेत्र अंतर्गत हाथी प्रभावित क्षेत्रों में आए दिन हाथियों के हमले से ग्रामीणों की मौते भी होती रहती है। ऐसे में वन कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने की वजह से हाथी प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीणों की मुश्किलें और भी बढ़ गई है।

लखनपुर वन परिक्षेत्र में लोग हाथियों की दहशत में है।

90 के दशक में सरगुजा में आए फिर बन गया स्थायी ठिकाना
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरिडोर भी कहा जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड से सरगुजा की सीमा में घुसे थे। इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया। फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गया। इधर, ओडिशा से भी इनका पलायन रायगढ़, महासमुंद, बलौदा बाजार, गरियाबंद जिले में हुआ है।

हाथियां का मुद्दा कई बार छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी उठा
सरगुजा संभाग में हाथियों के आतंक का मुद्दा कई बार विधानसभा में उठ चुका है। सरकार ने हाथियों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कई प्लान तैयार किए। हालांकि सभी प्लान या तो सही से लागू नहीं हो पाया या फाइलों में दब कर रह गए।

(इनपुट, सुमित सिंह)

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