जशपुर. जिले के कुनकुरी वन परिक्षेत्र के ग्राम पंचायत बिलासपुर के आश्रित गाँव डुमरटोली में दल से अलग हुआ एक दंतैल हाथी आधी रात को गाँव में आ धमका. धान खाने के चक्कर में उसने मिट्टी की दीवार को तोड़ना शुरू कर दिया. दीवार गिरने की आवाज सुनकर सो रहे ग्रामीण जगरनाथ की नींद खुल गई. उसने हाथी से अपने परिजनों को बचाने के लिए उन्हें बगल में निर्माणाधीन पीएम आवास मकान में ले जाना शुरू किया.
इसी दौरान दंतैल ने बुजुर्ग को अपनी सूंड से खींच कर कुचल दिया. इस घटना में 55 वर्षीय जगरनाथ की घटनास्थल पर ही मौत हो गई. बीते 10 दिनों के अंदर जिले में हाथी से कुचल कर मारे जाने की यह पांचवीं घटना है. इसके पहले तपकरा रेंज के ग्राम पंचायत केरसई के रांपाडांड गाँव में भी लोनर एलीफैंट ने दो सगे भाइयों को कुचल कर मार दिया था.
घटना की सूचना मिलने पर डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय सहित वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे. बताया जा रहा है कि दंतैल ने जगरनाथ राम को मारने से पहले आसपास के गाँव में कई घरों को नुकसान पहुंचाया था. ग्रामीणों में इस घटना से भय और आक्रोश का माहौल है. वन विभाग के अधिकारी लोगों को समझाने और हाथी को वापस जंगल में भेजने के प्रयास में जुटे हैं.
जशपुर जिले में हाथियों के हमलों की समस्या लंबे समय से चली आ रही है. यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों का आतंक बना हुआ है. विशेषकर फसलों की कटाई के समय हाथी अक्सर गाँवों में घुस आते हैं और फसलों के साथ-साथ घरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं. जशपुर जिले के अलावा आसपास के जिलों जैसे रायगढ़ और सरगुजा में भी हाथियों के हमले की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं.
रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र में भी हाथियों ने कई बार घरों और फसलों को नुकसान पहुँचाया है. वहाँ के ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों के हमले के डर से वे रात में जागते रहते हैं और खेतों में पहरा देते हैं. कुछ गाँवों में तो हाथियों से बचने के लिए लोग टॉर्च और ढोल-नगाड़ों का इस्तेमाल करते हैं ताकि हाथी डर कर वापस चले जाएं.
सरगुजा जिले में भी हाथियों के हमले की घटनाएँ आम हो गई हैं. वहाँ के वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि हाथियों का दल अक्सर जंगल से निकल कर गाँवों की ओर चला आता है और रास्ते में आने वाली हर चीज को नष्ट कर देता है. फसलों की बर्बादी के साथ-साथ घरों का नुकसान और ग्रामीणों की मौत जैसी घटनाएँ वहाँ भी आम हो चुकी हैं.
इन जिलों में हाथियों के हमलों की बढ़ती घटनाओं के पीछे कई कारण हैं. जंगलों में भोजन की कमी, मानव अतिक्रमण और वन्यजीव संरक्षण में लापरवाही जैसे कारक प्रमुख हैं. वन विभाग इन समस्याओं से निपटने के लिए विभिन्न उपाय कर रहा है, लेकिन अभी तक इसका कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है.
ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और वन विभाग को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना चाहिए. हाथियों के हमलों से न केवल जान-माल का नुकसान होता है बल्कि लोगों के दिलों में डर भी बैठ जाता है. वन विभाग को चाहिए कि वह हाथियों के लिए जंगलों में पर्याप्त भोजन की व्यवस्था करे और ग्रामीणों को हाथियों से बचाव के उपाय सिखाए. इसके अलावा, हाथियों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए भी ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
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