अंबिकापुर. कर्नाटक से दुर्योधन बिगड़ैल और जंगली हाथियों को सुधारने और काबू में करने के लिए छत्तीसगढ़ आया था. लेकिन, इस बीच वह प्यार में पड़ गया और अपना मूल काम छोड़कर उन्हीं से जा मिला. आलम ये कि अपने प्रशिक्षक को ही ललकार रहा है. वहीं हाथी प्रबंधन से जुड़े अफसर भी समझ नहीं पा रहे कि अब क्या करें.
बता दें कि ये दुर्योधन और कोई नहीं, कर्नाटक से छत्तीसगढ़ लाए कुमकी हाथियों के दल का ही एक हाथी है. इन्हें खास प्रशिक्षण दिया गया है, जिनकी मदद से वन अमला जंगली हाथियों के बीच जाकर उनका प्रबंधन करते हैं. उन्हें सुधारने, खदेड़ने आदि के काम में लाते हैं. इसी तरह कुमकी हाथियों के एक दल को वर्ष 2018 में सरगुजा के रमकोला एलिफेंट कैंप लाया गया था. इसी बीच दुर्योधन हाथी जंगली हाथियों की ही एक हथिनी के प्यार में पागल हो गया. फिर उनके दल में ही जा मिला है.
किसी चमत्कार से कम नहीं
बात सिर्फ कुमकी हाथी के जंगली हाथियों दल में मिलने की ही नहीं है. बात हाथियों के व्यवहार का भी है, जिस पर सभी को आश्चर्य हो रहा है. दरअसल, किसी भी हाथी का दल कभी भी अपने साथ दूसरे दल के हाथी को स्वीकार नहीं करते. लेकिन, दुर्योधन को हथिनी के साथ वाले दल ने शामिल भी कर लिया.
महावत को पहचानने से किया इनकार
जिस महावत ने दुर्योधन को प्रशिक्षित किया था, अब वह भी उसके पास जाने से डर रहा है. कारण ये कि वह उसे भी नहीं पहचान रहा है और उसका व्यवहार भी बदल गया है. वह खुद जंगली हाथियों जैसा व्यवहार कर रहा है.
कन्नड़ की जगह सीख चुका था छत्तीसगढ़ी
आपको आश्चर्य लग रहा होगा कि दुर्योधन समेत सभी हाथी कन्नड़ की जगह छत्तीसगढ़ी सीख चुके थे. जी हां, इन कुमकी हाथियों को कन्नड़ में वहां के महावतों ने प्रशिक्षित किया था. उन्हें जैसा कहा जाता था हाथी वैसा ही करते थे. बाद में उन्हें छत्तीसगढ़ी में डायरेक्शन सिखाया गया था. लेकिन, दुर्योधन ने इन सब पर पानी फेर दिया है.
अब आपस में भिड़ रहे नक्सली, साथियों ने 25 लाख के इनामी को उतारा मौत के घाट
छत्तीसगढ़ में 24 घंटे के भीतर 6 सड़क हादसे, 5 की मौत, कई घायल
छत्तीसगढ़ में 8900 से अधिक पदों पर सरकारी भर्ती, युवाओं के लिए अवसर ही अवसर
Copyright © 2021 Newsbaji || Website Design by Ayodhya Webosoft