रायपुर. छत्तीसगढ़ कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के साथ ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने तर्क पेश करते हुए लिखा है कि ईडी के अफसर छत्तीसगढ़ में विशुद्ध रूप से राजनीतिक कार्रवाई कर रहे हैं. कांग्रेस के महाधिवेशन से पूर्व इसकी जिम्मेदारी संभालने वालों और फिर इसका विरोध करने वालों के यहां छापेमारी को बतौर उन्होंने उदाहरण पेश किया है.
अपने पत्र में सुशील आनंद ने लिखा है कि जब 24 फरवरी से कांग्रेस का महाधिवेशन शुरू होना था तो उसके ठीक चार दिन पहले इसके सफल आयोजन को रोकने छह प्रमुख आयोजकों के घरों में छापेमारी की गई. न तो अफसरों ने छापे के औचित्य की जानकारी दी और न प्रकरण क्रमांक की जानकारी साझा की. कुछ हासिल नहीं होने पर जब्त चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा भी नहीं दिया. जब इसे राजनीतिक कार्रवाई बताते हुए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने ईडी कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया तो फिर से कार्रवाई की गई, जो इसमें प्रमुख रूप से शामिल थे.
ढेबर के यहां इसलिए छापे
संचार प्रमुख सुशील आनंद ने आगे लिखा है कि ईडी की कार्रवाई के विरोध में रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ने प्रमुख भूमिका निभाई थी. इसीलिए राजनीतिक द्वेशके चलते 29 मार्च को उनके व उनके परिजनों के आवासीय परिसरों में छापेमारी की गई. इस दौरान एजाज की 85 वर्षीय मां को नमाज तक नहीं पढ़ने दी गई. जब्त 8 लाख का पूरा हिसाब देने के बाद भी उसे जब्त कर लिया गया. इस जांच का कोई कारण भी नहीं बता सके.
रिकवरी नाममात्र की
राज्य में पिछले तीन से चार दिनों तक की गई छापेमारी को लेकर उन्होंने लिखा है कि करीब 40 जगहों पर छापेमारी की गई. इनमें रिकवरी की कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है और न ये बताया गया है कि किस अपराध की विवेचना करते हुए ये कार्रवाई की जा रही है. वहीं सभी छापों में मिलाकर कुल रिकवरी नाममात्र की ही हुई है.
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