रायपुर. छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने रायपुर महापौर एजाज के भाई अवर ढेबर को गिरफ्तार कर 4 दिनों की रिमांड पर रखा है. रविवार को ईडी ने एक विज्ञप्ति जारी कर कई खुलासे किए हैं. इसमें बताया गया है कि उसने राजनीतिक पहुंच का लाभ उठाकर उसने बड़ा आपराधिक सिंडिकेट बना रखा था. उनके जरिए कई बड़े आबकारी अफसरों और विपणन संघ से साठगांठ कर सरकारी शराब की बिक्री के समानांतर उन्हीं दुकानों में अवैध शराब की बिक्री, सप्लायरों व डिस्टीलरी, बॉटल कंपनियों आदि से कमीशन आदि के जरिए 3 सालों में 2000 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई है.
बता दें कि ईडी ने अनवर ढेबर को बीते 6 मई को छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले के मामले में धन-शोधन निवारण अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था. कोर्ट में पेश करने के बाद ईडी के अफसर उसे 4 दिनों के लिए रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रहे हैं.
2019 से 2022 के बीच दिया अंजाम
ईडी की ओर से कहा गया है कि बीते मार्च महीने में कई ठिकानों में छापेमारी से जुटाए साक्ष्य और इस अवैध कारोबार से जुड़े लोगों के बयान से 2019 से 2022 के बीच 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा के भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का पता चला है.
अनवर के सिंडिकेट का कब्जा
अनवर ढेबर छत्तीसगढ़ में संगठित आपराधिक सिंडिकेट चला रहा था. वह कई बड़े नेताओं और सीनियर अफसरों की शह पर इन्हें अंजाम दे रहा था. इसी गठजोड़ का फायदा उठाकर उसने एक ऐसा नेटवर्क बना रखा था जिसके जरिए प्रदेश में बिक रही शराब की प्रत्येक बोतल से अवैध रूप से पैसा वसूल किया जाता था.
राज्य में राजस्व का सबसे बड़ा जरिया शराब में वसूली जाने वाली एक्साइज ड्यूटी है. आबकारी विभाग की जिम्मेदारी शराब की आपूर्ति सुनिश्चित करने, शराब की गुणवत्ता तय करने और अवैध शराब की सप्लाई पर रोक लगाना है. लेकिन अनवर ढेबर के बनाए सिंडिकेट के चलते इसके विपरीत काम हो रहा था.
प्रदेश में यह है शराब बिक्री का सिस्टम
छत्तीसगढ़ में शराब की खरीदी व सप्लाई से लेकर बिक्री तक में राज्य सरकार का पूरा नियंत्रण है. सभी 800 शराब दुकान राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही है. यहां बिकने वाली शराब की खरीदी छत्तीसगढ़ राज्य विपणन संघ की ओर से की जाती है. इसके लिए विपणन संघ टेंडर जारी करता है. जबकि शराब दुकानों में शराब की बिक्री करने के साथ ही बिक्री की रकम जमा करने का काम सरकार द्वारा तय की गई एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराए कर्मचारियों के माध्यम से की जाती है.
लूपहोल का ऐसे उठाया लाभ
राजनीतिक पहुंच के जरिए अनवर ने विपणन संघ के एमडी व एक वफादार आयुक्त की शह पर सिस्टम को पूरी तरह से कब्जे में लेने के लि विकास अग्रवाल, सुब्बू और अरविंद सिंह जैसे करीबी सहयोगियों को काम पर रखा. उनके जरिए वह शराब की खरीदी से लेकर शराब उत्पादकों, लाइसेंस धारकों, आबकारी विभाग के अफसरों, जिले के आबकारी अधिकारियों, बिक्री कराने वाली एजेंसी, शराब की बॉटल उपलब्ध कराने वाले वेंडर आदि से कमीशन वसूल करने लगा.
इन तीन तरीकों से अवैध कमाई
1. अनवर का बनाया सिंडिकेट शराब की क्वालिटी व कीमत के अनुसार 75 से लेकर 150 रुपये तक की वसूली उन सप्लायरों से कर रहा था, जिन्हें विपणन संघ ने तय किया था.
2. अनवर ढेबर ने विभिन्न लोगों के साथ साजिश रची और अवैध तरीके से देशी शराब बनवाकर उसकी बिक्री सरकार द्वारा संचालित दुकानों के जरिए कराया. इसके लिए नकली होलोग्राम और नकली बॉटल का उपयोग किया गया. शराब फैक्ट्रियों से शराब स्टेट वेयरहाउस में जाने के बजाय सीधे दुकानों में भेजा गया. इस तरह उन्हीं शराब दुकानों में समानांतर रूप से अनवर के सिंडिकेट की शराब की बिक्री की जाती रही. इस तरह के अवैध कारोबार के जरिए 2019-20 और 2021-22 में अवैध शराब की खपत राज्य सरकार की शराब की कुल बिक्री की 30 से 40 प्रतिशत थी. इस तरह 1200 से लेकर 1500 करोड़ रुपये तक अवैध कमाई की गई है.
3. शराब वितरकों, डिस्टलरियों व विपणन संघ द्वारा खरीदी गई शराब के लिए सालाना कमीशन भी वसूला गया है. इस तरह अलग-अलग माध्यमों से कुल 2000 करोड़ से अधिक के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है. चार दिनों की कस्टडी के दौरान कई और खुलासे होने की बात भी कही गई है, जिसका खुलासा जल्द होने की बात कही गई है.
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