रायपुर. ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय की छत्तीसगढ़ में ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है. इसी कड़ी में अब कोल स्कैम मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है. मंगलवार को ईडी ने भिलाई विधायक देंवेंद्र यादव, विधायक चंद्रदेवराय, आईएएस रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी समेत अन्य की कुल 51 करोड़ 40 लाख की संपत्ति अटैच कर दी है. इसकी जानकारी खुद ईडी के ट्वीटर अकाउंट से सार्वजनिक की गई है.
कोल स्कैम में अब तक 221 करोड़ की संपत्ति अटैच
बता दें कि ईडी लंबे समय से छत्तीसगढ़ में कोल स्कैम मामले की जांच कर रही है. इससे पहले भी कोयले के अवैध परिवहन, लेवी वसूली समेत अन्य मामलों की जांच कर कई लोगों पर शिकंजा कसा जा चुका है. उनकी संपत्तियां भी अटैच की जा चुकी हैं. ऐसे में इस मामले में छत्तीसगढ़ में कुल 221 करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति अटैच की जा चुकी है. ये जानकारी भी ईडी की आधिकारी ट्विटर हैंडल से ट्वीट की गई है.
किसकी कितनी संपत्ति नहीं किया स्पष्ट
ईडी ने अभी सिर्फ ये जानकारी साझा की है कि अमुक लोगों से कुल 51 करोड़ 40 लाख की संपत्तियां अटैच की गई हैं, जो कोल स्कैम के रिए हासिल की गई थी. लेकिन, किसकी कितनी संपत्तियां अटैच की गई हैं इसे स्पष्ट नहीं किया गया है. इससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
ये है छत्तीसगढ़ का कोल स्कैम
ईडी ने जिस आधार पर कार्रवाई की है और जो दावे किए गए हैं उसके मुताबिक, 15 जुलाई 2020 में राज्य के भूविज्ञान और खनन विभाग ने खदानों से कोयले के ट्रांसपोर्ट के लिए जारी होने वाले ई-परमिट की ऑनलाइन प्रक्रिया को संशोधित किया. तब से एनओसी जारी करना जरूरी हो गया. ईडी का दावा है कि इसके लिए कोई एसओपी या प्रक्रिया जारी नहीं की गई है. एक माइनिंग कंपनी खरीदार के पक्ष में कोल डिलीवरी का ऑर्डर जारी करती है. इसे तब कंपनी के पास 500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से एडवांस राशि जमा करनी होती है और 45 दिनों के भीतर कोयला उठाना होता है. ईडी की जांच में सामने आया कि माइनिंग डिपार्टमेंट की डॉक्यूमेंट प्रोसेस सही नहीं थी. कई जगहों पर सिग्नेचर नहीं थे. नोट शीट नहीं थी. कलेक्टर या डीएमओ की मनमर्जी पर नाममात्र की जांच करवाकर एनओसी जारी की जा रही थी.
25 रुपये का कमीशन ऐसे पहुंचा 540 करोड़ तक
ईडी के अनुसार, इस पूरे प्रकरण में सूर्यकांत तिवारी का नाम प्रमुखता से आया. आरोप है कि उसने सीनियर अफसरों की मदद से उगाही का एक नेटवर्क तैयार कर लिया था. हर खरीदार या ट्रांसपोर्टर को कलेक्टर ऑफिस से एनओसी लेने से पहले 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से चुकाना पड़ता था. इन पैसों का बंटवारा वर्करों, सीनियर आईएएस-आईपीएस अफसरों व नेताओं में बंटवारा होता था. इस तरह कुल 540 करोड़ रुपये के स्कैम को अंजाम दिया गया है. इसी के बाद फरार सूर्यकांत तिवारी समेत कई आईएएस अफसरों के ठिकानों पर छापेमारी के साथ ही उनकी गिरफ्तारी भी की गई. उनकी संपत्तियां भी अटैच की जा रही हैं. उसी कड़ी में अब ये कार्रवाई की गई है.
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