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आदिवासी, युवा, प्रखर वक्ता, कांग्रेस की संभावनाओं पर खरे उतरने वाले दीपक बैज के PCC चीफ बनने के मायने

 Newsbaji  |  Jul 13, 2023 01:59 PM  | 
Last Updated : Jul 13, 2023 01:59 PM
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नए प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज के जरिए कांग्रेस ने कई निशाने एक तीर से साध लिए हैं.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नए प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज के जरिए कांग्रेस ने कई निशाने एक तीर से साध लिए हैं.

रायपुर. PCC Chief Deepak Baij: बस्तर लोकसभा सीट से सांसद दीपक बैज युवा हैं. आदिवासियों के साथ-साथ युवाओं के बीच भी अपनी पैठ रखते हैं. जनाधार की बात करें तो ये उस दौर में सांसद चुने गए जब देशभर के साथ प्रदेश में भी मोदी लहर थी. छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है, जहां गाहे-बगाहे मांग की जाती रही है कि आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाए. यानी कांग्रेस ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. वह तीर और कोई नहीं, बल्कि प्रदेश कांग्रेस के नए मुखिया दीपक बैज हैं.

वैसे तो बस्तर से ही आने वाले और आदिवासी वर्ग से ही मोहन मरकाम से छीनकर ये ताज दीपक के सिर पर सजाया गया है, लेकिन इस बदलाव के भी कई मायने हैं, जिन पर बात कही जा सकती है. मसलन, युवा चेहरा. गांव-गरीब और किसान वर्ग को साधने के बाद अब प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने युवाओं पर फोकस करना शुरू किया है. ऐसे समय में एक युवा चेहरे काे फ्रंट में लाना कोई बुरा सौदा नहीं था.

युवा चेहरे आएंगे इस पर दोराय नहीं
पीसीसी के नए मुखिया दीपक बैज अब जल्द ही अपनी कार्यकारिणी का विस्तार करेंगे. खुद युवा हैं तो इस बात पर भी दोराय नहीं है कि वे युवाओं को तरजीह देंगे. ये जरूर हो सकता है कि युवाओं के साथ अनुभव का संतुलन बनाए रखने के लिए वे कुछ पुराने चेहरों को भी साथ ला सकते हैं. लेकिन, फोकस युवाओं पर रहेगा ये तो तय माना ही जा सकता है.

राहुल गांधी की पसंद, भूपेश का चहेता
याद करिए चंद महीने पहले जब बस्तर सांसद दीपक बैज के दिल्ली स्थित सांसद निवास पर प्रदेश के मुखिया सीएम भूपेश बघेल ने उनसे मुलाकात की थी. चर्चा का बाजार तभी गर्म हो गया था कि हो न हो, पीसीसी चीफ के लिए दीपक बैज की घोषणा जल्द होने वाली है. तब तो नहीं हुआ लेकिन, देर आए दुरुस्त आए. इसमें एक बात और सामने आई कि दोनों के बीच ताल्लुकात बेहद अच्छे हैं. अब इन दोनों की केम‍िस्ट्री को भी प्रदेश की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दूसरी ओर, युवा चेहरे के हिमायती रहे राहुल गांधी के पसंदीदा नेताओं में भी दीपक को गिना जाता है.

क्या पट जाएगी आदिवासी नेतृत्व की कमी
विभिन्न हलकों से ये आवाज उठती रही है कि प्रदेश की अधिसंख्य जनसंख्या आदिवासी है तो पार्टियों को भी आदिवासियों को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश किया जाए. उन्हें ये अहम जिम्मेदारी सौंपी जाए. अभी युवा हैं, मैनेजमेंट में उस्ताद तो हैं ही. धीरे-धीरे अनुभव भी हासिल कर लेंगे तो आदिवासी नेतृत्व का संकट भी दूर हो जाएगा.

समानता के बाद भी इस मायने में मरकाम से अलग
बीते कुछ समय से सीएम भूपेश और सीसीसी चीफ रहे मोहन मरकाम के बीच मतभेद उभरकर सामने आ रहे थे. हालिया नए पदाधिकारियों के चयन के दौरान तल्खी साफ उभरकर आई थी. शिकायत प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा तक से की गई. आखिरकार उन्हें दखल देकर नई नियुक्ति को खारिज किया गया. जबकि इस मायने में दीपक के साथ सीएम के बेहतर तालमेल की उम्मीद है. वैसे इसे छोड़ दिया जाए तो आदिवासी चेहरा, बस्तर का नेतृत्व आदि में मोहन मरकाम भी उनकी बराबरी पर थे. यही वजह है कि बस्तर की जनता की नाराजगी से बचने के लिए ही दीपक बैज के नाम को आगे किया गया है.

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