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छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत पर स्वतः संज्ञान, ऊर्जा विभाग के सचिव शपथ पत्र के साथ तलब

 Newsbaji  |  Nov 04, 2024 04:02 PM  | 
Last Updated : Nov 04, 2024 04:02 PM
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मामले को स्वत: संज्ञान लिया है.
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मामले को स्वत: संज्ञान लिया है.

बिलासपुर. रायगढ़ जिले के घरघोड़ा वन परिक्षेत्र में बिजली के करंट से तीन हाथियों की मौत के मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने इस मामले में ऊर्जा विभाग के सचिव और छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर को शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया. अदालत ने यह कदम वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जाहिर करते हुए उठाया है और इस मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी.

रायपुर के वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने भी इस जनहित याचिका में हस्तक्षेप याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने बताया कि बिलासपुर वन मंडल में एक अक्टूबर को करंट लगने से एक हाथी शावक की मौत हुई थी. सिंघवी ने अपनी याचिका में यह भी उल्लेख किया कि बिजली के तार टूटने से नौ अक्टूबर को कांकेर जिले में तीन भालुओं की मौत हो गई थी.

शिकार के लिए बिछाए गए तारों से हुईं कई घटनाएं
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया कि शिकार के उद्देश्य से बिछाए गए बिजली के तारों से इंसानों और वन्य जीवों की जानें भी जा रही हैं. कोरबा में 15 अक्टूबर को ऐसे तारों से दो लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि 21 अक्टूबर को अंबिकापुर के जंगलों में एक व्यक्ति की इसी प्रकार के करंट से मौत हो गई थी. ये घटनाएं राज्य में बिजली के तारों के चलते वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाती हैं.

याचिकाकर्ता को भी शपथ पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश
उच्च न्यायालय ने नितिन सिंघवी द्वारा दायर हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें भी शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने वन्य जीवों की बढ़ती दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए आवश्यक कार्रवाई की मांग की है. इस प्रकार की घटनाओं से न केवल वन्य जीवों का जीवन खतरे में पड़ रहा है, बल्कि शिकारियों द्वारा बिछाए गए तारों से इंसानी जीवन भी प्रभावित हो रहा है.

न्यायालय के संज्ञान में आई वन्य जीवों की सुरक्षा की समस्या
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के इस संज्ञान से राज्य में वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता देखने को मिली है. अदालत का यह कदम सरकार और संबंधित विभागों पर दबाव डालता है कि वे जंगलों में फैले बिजली तारों की स्थिति पर ध्यान दें और वन्य जीवों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करें.

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