बिलासपुर. कोटा ब्लॉक के ग्राम पंचायत सिलपहरी के आश्रित ग्राम कारी माटी में मलेरिया की चपेट में आने से दो सगे भाइयों की मौत हो गई है. मृतकों की पहचान अजय ध्रव (उम्र 12 वर्ष) और संजय ध्रव (उम्र 6 वर्ष) के रूप में हुई है. दोनों बच्चे रामकुमार ध्रव और अनारकली के पुत्र थे. बताया जा रहा है कि बच्चों का इलाज झोलाछाप डॉक्टर से कराया जा रहा था. इस तरह छत्तीसगढ़ में मलेरिया का कहर (Death from malaria in CG) जारी है.
पहुंच विहीन है गांव
कारी माटी गांव सिलपहरी ग्राम पंचायत से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ों के बीच स्थित है. इस गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है और मोटरसाइकिल भी यहां मुश्किल से पहुंच पाती है. गांव में मोबाइल नेटवर्क की भी सुविधा नहीं है, जिससे आपात स्थिति में मदद पहुंचाना और भी कठिन हो जाता है.
इलाज में हुई देरी
गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण लोग मजबूरी में झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने को मजबूर हैं. अजय और संजय ध्रव का भी इलाज एक झोलाछाप डॉक्टर से ही कराया जा रहा था, जिससे उनकी हालत बिगड़ती चली गई और अंततः उनकी मौत हो गई. इस प्रकार के मामलों में उचित और समय पर इलाज न मिलने के कारण गांव में मलेरिया के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
हालिया मौतों की श्रृंखला
इस सप्ताह ही गांव में दो-तीन दिन पहले भी मलेरिया से मौत की घटनाएं हुई हैं. लगातार हो रही इन मौतों ने गांव में दहशत का माहौल बना दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में स्वास्थ्य सेवाओं की अत्यधिक कमी है और प्रशासन को इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है.
प्रशासन की सामने आई उदासीनता
कारी माटी गांव की भौगोलिक स्थिति और वहां तक पहुंचने में आने वाली दिक्कतें प्रशासनिक सेवाओं की अनुपलब्धता को और भी जटिल बना देती हैं. पहाड़ों के बीच बसे इस गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और आपातकालीन स्थितियों में मदद की कमी के कारण गांववासी अपनी जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं.
बड़े कदम की जरूरत
गांव में मलेरिया जैसी बीमारियों से निपटने के लिए प्रशासन को त्वरित कदम उठाने की जरूरत है. नियमित स्वास्थ्य जांच, मच्छरदानी वितरण, और साफ-सफाई पर जोर देना अत्यंत आवश्यक है. साथ ही, झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज पर रोक लगानी चाहिए और गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की जानी चाहिए.
सुधाएं जुटाने की जरूरत
कारी माटी गांव में मलेरिया से हो रही मौतों ने एक गंभीर स्वास्थ्य संकट को उजागर किया है. प्रशासन की उदासीनता और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण गांववासी गंभीर परेशानियों का सामना कर रहे हैं. तत्काल उपायों की जरूरत है ताकि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और गांव के लोगों को उचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें.
कलेक्टर ने बाइक से लिया था जायजा
बता दें कि एक दिन पहले ही कलेक्टर अवनीश शरण ने कोटा ब्लॉक के मलेरिया प्रभावित गांवों का भ्रमण किया था. पहुंच विहीन इलाकों में वे बाइक से गए. स्वास्थ्य अफसरों को जरूरी निर्देश भी दिए थे.
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