दंतेवाड़ा. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में स्थित आदिशक्ति माई दंतेश्वरी की नगरी में इन दिनों राजनीति गरमा गई है. लोगों की सुरक्षा, जाम और अतिक्रमण की समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रशासन मुख्य सड़क पर बने फुटपाथ पर रेलिंग लगवा रहा है. इस कार्य को प्रभारी मंत्री कवासी लखमा द्वारा जनोन्मुखी बता कर इसकी सराहना की गई बावजूद इसके जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा अपने राजनीतिक लाभ के लिए शासन और अपनी ही पार्टी के विरुद्ध जाकर चक्का जाम की तैयारी कर रही हैं.
लोगों को भीड़भाड़ से बचाने और पाथवे पर परिवार के साथ सैर करने वालों की सुरक्षा को ध्यान मे रखते जिला प्रशासन द्वारा लोहे की रेलिंग लगाई जा रही है. विदित हो कि इस कार्य की ना केवल मंत्री कवासी लखमा ने बल्कि मंदिर के प्रधान पुजारी, जिया परिवार तथा कई बड़े कांग्रेसी नेताओं ने भी सराहना की है. इतना ही नहीं, प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के नेताओं ने भी इसकी प्रशंसा की है. वहीं व्यापारी संघ से लेकर विभिन्न संगठनों ने भी सहमति जताई है. लोगों का कहना है की इस बैरिकेटिंग से ना केवल अतिक्रमण रुकेगा बल्कि यह बच्चों, महिलाओं व वृद्धजनों को भी सहूलियत देगा.
मां दंतेश्वरी सरोवर के बैरिकेटिंग कार्य को प्रभारी मंत्री लखमा द्वारा जनता के हित का बताने के बावजूद ज़िला पंचायत अध्यक्ष अपने ही पार्टी के विरुद्ध जाकर चक्का जाम की तैयारी कर रही हैं. ताकि उन्हें राजनीतिक रूप से लाभ मिल सके. इस मुद्दे को लेकर ज़िला अध्यक्ष ने पहले भी धरना दिया था और रेलिंग को JCB से तोड़ने की धमकी दी गई थी. फुटपाथ पर लोगों के आजीविका के लिए जिला प्रशासन द्वारा पूर्व मे ही आश्वस्त किया जा चुका है.
एडीएम कन्नोजे ने कुम्हारों और अन्य फुटकर दुकानदारों को भरोसा दिलाया कि प्रशासन उनके लिए अलग व्यवस्था बना रहा है. आश्वासन के बाद लोगों ने खुद को इस आंदोलन से अलग कर लिया है. जिपं अध्यक्ष द्वारा आयोजित धरने में लोगों की संख्या बहुत कम थी तथा अधिकांश को मुद्दे की जानकारी भी नहीं थी.लोगों ने बताया की उनको भ्रमित करके लाया गया था.
चक्काजाम से लोगों को होगी परेशानी
इधर जनहित के मुद्दों को दरकिनार कर अब तूलिका कर्मा अपनी राजनीतिक रोटी सेकने चक्काजाम से भी पीछे नहीं हट रही. यहां ये बताना आवश्यक है की किसी भी तरह के चक्काजाम से आम लोगों को ही परेशानी होती है. इस तरह के प्रदर्शन से आवागमन बाधित होता है, लोगों को बेवजह समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धि के लिए किए गए अनावश्यक प्रदर्शन के दुष्परिणाम जनता को ही भुगतने पड़ते हैं. ऐसे में यदि इस कृत्य को अंजाम दिया जाता है तो ये ना केवल शासन और पार्टी का विरोध होगा बल्कि विकास कार्य का भी प्रत्यक्ष रूप से विरोध माना जाएगा.
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