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दंतेवाड़ा नक्सल हमले में सामने आई ये बड़ी चूक, 10 जवानों की नहीं होती शहादत

 Newsbaji  |  Apr 26, 2023 05:04 PM  | 
Last Updated : Apr 26, 2023 05:04 PM
दंतेवाड़ा आईईडी ब्लास्ट की इस घटना में एक बड़ी चूक के चलते एक साथ इतने जवान शहीद हो गए हैं.
दंतेवाड़ा आईईडी ब्लास्ट की इस घटना में एक बड़ी चूक के चलते एक साथ इतने जवान शहीद हो गए हैं.

दंतेवाड़ा. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में अरनपुर क्षेत्र में सर्चिंग कर लौट रहे जवानों की गाड़ी नक्सलियों के लगाए आईईडी की चपेट में आ गई. इस घटनाम में डीआरजी के 10 जवानों के शहीद होने के साथ वाहन चालक की भी मौत हुई है. वहीं इस घटना में एक बड़ी चूक भी सामने आई है. यदि ऐसा नहीं किया जाता तो शायद इतनी संख्या में जवानों की शहादत नहीं होती.

दरअसल, गर्मी यानी पतझड़ के मौसम में नक्सलियों का मुवमेंट काफी ज्यादा बढ़ जाता है. वे कहीं अधिक आक्रामक भी हो जाते हैं और इस तरह की कायराना वारदात को अंजाम देने की कोशिश में रहते हैं. कमोबेश इसमें सफल भी होते हैं. दअसल, गोरिल्ला वार की तरह रणनीति अपनाने वाले ये नक्सली घने जंगल में हालात से निपटने और पुलिस व फोर्स के जवानों से मुकाबला करने में सिद्धहस्त होते हैं. पतझड़ में जंगल के भीतर दृश्यता बढ़ जाती है. इससे वे कहीं दूर से जवानों व पुलिस को निशाना बना सकते हैं. इसीलिए नक्सली फरवरी से जून तक अक्सर बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं. ऐसे में जरा सी चूक बड़ी घटना का कारण बन जाती है.

ये हुई बड़ी चूक
जवानों को इस संवेदनशील समय में सर्चिंग के लिए गाड़ियों का उपयोग करने के लिए मनाही की गई है. इसके बाद भी जवान एक निजी वाहन का उपयोग सर्चिंग के दौरान किया. दरअसल, पैदल चलने पर जवानों को जमीन पर नया खोदा गया गड्ढा व और दूसरी तरह की निशानी से अंदाजा लग जाता है कि कहीं आईईडी फीड तो नहीं किया गया है. लेकिन गाड़ी में इसका पता नहीं लग पाता. वहीं टनों वजनी गाड़ी के टायर से संपर्क में आते ही ब्लास्ट का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. इस मामले में भी वही चूक हुई है.

एक साथ चलने तक की है मनाही
बता दें कि एंटी नक्सल अभियान को लंबे समय से कंडक्ट कर रहे अफसरों को नक्सलियों के कई राज पता चल चुके हैं. उनकी कमजोरियां और ताकत के साथ ही रणनीति को भी भांपने की क्षमता रखते हैं. परिस्थितियों को भांपकर ही उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि गाड़ियों का उपयोग सर्चिंग में तो करना ही नहीं है, साथ ही पैदल चलते समय भी एक साथ समूह में नहीं रहना है. यदि पैदल चलते समय भी कभी आईईडी या किसी दूसरे विस्फोटक के संपर्क में आ गए तो झुंड में रहने से एक साथ कई जवानों के हताहत होने का खतरा रहता है. इसीलिए पैदल चलने और अलग-अलग चलने के निर्देश हैं. लेकिन, यहां सर्चिंग के दौरान गाड़ी में सवार होना जवानों पर भारी पड़ गया.

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