रायपुर. छत्तीसगढ़ में हुए कस्टम मिलिंग घोटाले के मामले में ईडी एक बार फिर सक्रिय हो गई है. इसी के तहत शुक्रवार की सुबह से प्रदेश के रायपुर, खरोरा क्षेत्र, दुर्ग समेत अन्य जगहों पर मिलर्स के ठिकानों पर छापेमारी की गई है. ये छापा पूर्व में गिरफ्तार किए गए मार्कफेड के पूर्व एमडी मनोज सोनी व मिलर्स एसोसिएशन के पूर्व कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर से मिले इनपुट के आधार पर मारा गया है.
बता दें कि शुक्रवार को ईडी के अफसरों ने रायपुर में 2 तो खरोरा में एक राइस कारोबारी के ठिकाने पर छापेमारी की है. इसके तहत छत्तीसगढ़ प्रदेश राइस एसोसिएशन के पूर्व महासचिव प्रमोद अग्रवाल के ठिकाने पर दबिश दी गई है. उनके राइस मिल, ऑफिस और निवास से कई अहम दस्तावेज हासिल किए गए हैं.
इसी तरह दुर्ग में एक कारोबारी के दो अलग-अलग ठिकानों पर भी छापा मारा गया है. इस मिलर को मार्कफेड के पूर्व एमडी मनोज सोनी से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है. जानकारी ये भी सामने आई है कि जिनके यहां छापा पड़ा है वे मनोज सोनी व रोशन चंद्राकर के साथ मिलकर पूरा खेल कर रहे थे. वसूली की रकम इन तक भी पहुंच रही थी.
इस तरह किया घोटाला
कस्टम मिलिंग घोटाला मामले में मुख्य कर्ताधर्ता मार्कफेड का तत्कालीन एमडी मनोज सोनी है. ईडी ने जांच में पाया है कि खरीफ वर्ष 2021-22 तक सरकार द्वारा धान का प्रति क्विंटल 40 रुपये भुगतान किया गया. धान की कस्टम मिलिंग के लिए दी जाने वाली रकम सरकार ने 3 गुनी बढ़ा दी.
वहीं 120 रुपये प्रति क्विंटल धान का भुगतान दो किश्तों में किया गया. अफसरों ने आधी रकम मार्कफेड के एमडी मनोज सोनी के साथ मिलकर वसूल ली. घोटाले की शर्तों के तहत नकद राशि का भुगतान करने वालों का विवरण जिला विपणन अधिकारी को भेजा गया. उनके माध्यम से ब्योरा मार्कफेड एमडी तक पहुंचा.
एमडी ने केवल उन्हीं के बिलों को भुगतान के लिए मंजूरी दी, जिन्होंने नकद राशि का भुगतान किया. विशेष भत्ता 40 रुपये से बढ़ाकर 120 रुपये क्विंटल करने के बाद प्रदेश में 500 करोड़ रुपये के भुगतान जारी किए गए, उसमें से 175 करोड़ रुपये की रिश्वत वसूली गई.
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