रायपुर। छत्तीसगढ़ की 2 राज्यसभा सीटों के लिए कांग्रेस ने नामों का ऐलान कर दिया है। उसके बाद एक बार फिर से पार्टी के स्थानीय नेताओं को वेटिंग में डाल दिया गया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश के राजीव शुक्ला व बिहार की रंजीत रंजन को उम्मीदवार तय कर दिया है। पार्टी के इस फैसले से स्थानीय नेताओं में भारी निराशा है। वे खुलकर बोल तो नहीं रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर भारी आक्रोशित है। वहीं भाजपा को बैठे-बिठाए मुद्दा हाथ लग गया है। जिसको लेकर सोशल मीडिया ट्विटर पर कांग्रेस पार्टी, सीएम भूपेश बघेल समेत अन्य नेताओं पर निशाना साध रहे है।
विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ के कांग्रेसियों को उनकी दिल्ली ने फिर छला है। प्रदेश कांग्रेस का एक भी कार्यकर्ता राज्यसभा के लिए योग्य प्रत्याशी नहीं हो सकता था क्या? तो दो दूतों को क्यों भेजा जा रहा है। यहां के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के पास अब बोरे-बासी उत्सव के अलावा कोई काम शेष नहीं है। पूर्व मंत्री व विधायक अजय चंद्राकर ने ट्वीट पर लिखा मुख्यमंत्री जी छत्तीसगढ़ में जितने लोग कांग्रेस में हैं। छत्तीसगढ़ "छत्तीसगढ़िया" "छत्तीसगढ़ी" शब्द का इस्तेमाल बंद कीजिए और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सहित आप इस्तीफा दीजिए! उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा- छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रिय मित्रों… आप सब 'सांकड़' लो, 'गेड़ी' चढ़ो, 'पित्थुल' खेलो, 'रैचुली' झूलो, पुन्नी नहाओ, बासी खाओ, गोबर बिनो और चमचागिरी करते हुए फोटो खिंचाओ… राजनीति आप लोगों के बस की बात नहीं है।
विष्णुदेव साय ने साधा निशाना
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने ट्वीट कर सीएम भूपेश बघेल पर निशाना साधा है। उन्होंने पूछा कि मुख्यमंत्री यह बताएं कि अब उनका तथाकथित छत्तीसगढ़ियावाद कहां छुप गया है। कहां खो गया है और कांग्रेस आलाकमान के आगे नतमस्तक होते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ के हितों से समझौता क्यों किया है? उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के किसी भी मामले में भाजपा और छत्तीसगढ़ का एक-एक नागरिक बोलने का पूरा अधिकार रखता है।
हाई कमान का पावर
राज्यसभा उम्मीदवार घोषित होने से कुछ घंटे पहले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने रायपुर के एक कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रदेश कांग्रेस के लोगों को नाम तय करने का अधिकार नहीं है। नाम हाईकमान तय करेगा। वहीं से नाम आएगा और इन्हें सिर्फ मुहर लगाना है। कांग्रेस की यह स्थिति नहीं है कि नाम तय कर लें। उन्होंने सीएम भूपेश बघेल के बस्तर में भेंट मुलाकात पर कहा कि बस्तर का विकास साढ़े तीन साल से ठप है। साढ़े तीन साल में मुख्यमंत्री जाकर बोल रहे हैं। मैं पहली बार आया हूं। बताओ क्या काम करना है। अब डेढ़ साल बचे हैं। अब क्या काम होगा।
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