रायपुर. छत्तीसगढ़ व तेलंगाना बॉर्डर पर दंडकारण्य क्षेत्र में सक्रिय नक्सल नेता और प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी की केंद्रीय कमेटी पोलित ब्यूरो सदस्य रहे कामरेड आनंद उर्फ कटकम सुदर्शन की मौत 31 मई को हो गई है. नक्सलियों ने प्रेस रीलीज जारी कर खुद नक्सलियों ने इसकी जानकारी दी है. एनआईए ने उस पर 1.55 करोड़ रुपये का इनाम घोषित किया था. सरकार द्वारा नक्सलियों के सप्लाई सिस्टम को तोड़ने से उसकी मौत हुई, जिसे खुद नक्सलियों ने स्वीकार किया है. दरअसल, इसके चलते उसे जरूरी दवाएं व इलाज नहीं मिल पाया और कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से जूझते हुए उसने दम तोड़ा है.
नक्सलियों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति ने नक्सल लीडर कामरेड आनंद के जीवन के बारे में भी बताया है. साथ ही 5 जून से 3 अगस्त तक पूरे देश में कामरेड आनंद संस्मरण सभाओं के आयोजन की घोषणा की गई है. बता दें कि तेलंगाना (पूर्ववर्ती आंध्रप्रदेश) से आने वाले कामरेड आनंद का जन्म 69 साल पहले बेल्लमपल्ली शहर के एक मजदूर परिवार में हुआ था. वह नक्सलबाड़ी आंदोलन के बाद आई दूसरी पीढ़ी का नक्सल नेता रहा, जिसने पॉलिटेक्निक की पढ़ाई के बाद छात्र आंदोलनों में हिस्सा लेना शुरू किया. यह 1974 की बात है. इसके बाद बेल्लमपल्ली पार्टी सेल का सदस्य बनकर सिंगरेणी मजदूर आंदोलन का हिस्सा बना.
ऐसे बना नक्सलियों का बड़ा लीडर
बता दें कि कामरेड आनंद के दौर में ही तेलंगाना से होते ही दक्षिण छत्तीसगढ़ में नक्सल मूवमेंट की शुरुआत हुई और फिर उग्र रूप में इसका असर अगले 30 सालों में देखने को मिला. उसी के अनुरूप में संगठन में उसका कद भी बढ़ता चला गया. मसलन, 1978 में लक्सेट्टीपेटा-जन्नारम इलाके में पार्टी समन्वयक बना तो वहीं 1980 में आदिलाबाद जिला कमेटी सदस्य बनकर दंडकारण्य इलाके में नक्सल संगठन का विस्तार किया. इसी कड़ी में 1987 में दंडकारण्य फारेस्ट कमेटी का सदस्य बनकर क्रांतिकारी गतिविधियाें की बुनियाद रखी. वहीं 1995 में उत्तर तेलंगाना स्पेशल जोनल कमेटी सचिव की जिम्मेदारी ली. इसी साल एआईएससी में केंद्रीय कमेटी सदस्य भी बना. जबकि 2001 में पोलित ब्यूराे सदस्य बन गया. वहीं आगे चलकर कई जिम्मेदारियां संभालता रहा.
बीमार होने के बाद बन गया मीडिया प्रवक्ता
कामरेड आनंद ने 2001 से 2017 तक मध्य रीजनल ब्यूरो सचिव की जिम्मेदारी संभाली. इस दौरान उसे कई बीमारियों ने घेरना शुरू कर दिया. तब इन पदों की जिम्मेदारी को छोड़ दिया और पोलित ब्यूरो सदस्य के रूप में भूमिका निभाते हुए सीआरबी मीडिया प्रवक्ता के रूप में काम करने लगा. दो साल से यही काम करता रहा. इसी बीच बीमारियां बढ़ने लगी.
कांग्रेसियों के काफिले पर हमले में भी नाम
बता दें कि नक्सली कोई भी बड़ी वारदात बिना सोचे-समझे और किसी पर भी ऐसा हमला नहीं करते. 25 मई 2013 को कांग्रेसियाें के परिवर्तन रैली के बाद वापसी के दौरान काफिले पर नक्सलियों ने हमला किया था. इस घटना में महेंद्र कर्मा, तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत कई दिग्गज नेेताओं का निधन हुआ था. बताया जाता है कि इस हमले की रणनीति बनाने में भी कामरेड आनंद की बड़ी भूमिका थी.
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