बिलासपुर. सड़क हादसे में घायल हुए व्यक्ति को उनका बेटा अस्पताल में भर्ती कराता है और फिर बाद में उनकी मौत हो जाती है. शव को अपने घर ले जाते हैं, लेकिन पेट के पास चिरे जैसा लगता है, मानों उनकी किडनी निकाली गई हो. शव को दफन कर दिया जाता है, लेकिन परिवार वालों का शक गहराते रहता है. आखिरकार शिकायत होती है और अब पुलिस ने शव को कब्र खोदकर निकलवा लिया है. जांच के लिए उसे डॉक्टरों की टीम ले गई है. अब सबकी निगाह इसी पर टिकी है कि डॉक्टरों ने किडनी निकाली है या नहीं.
मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले का है और आरोप लगा है यहां के प्रथम हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर. बता दें कि जिले के पचपेड़ी क्षेत्र के सोनलोहर्सी निवासी धरमदास मानिकपुरी अपने बेटे की शादी का कार्ड बांटने जाते समय बीते 15 अप्रैल को हादसे का शिकार हो गए. बाप-बेटा दोनों घायल हो गए. उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया. पहले बिलासपुर के स्वास्तिक अस्पताल में और फिर प्रथम हॉस्पिटल ले जाया गया. 21 अप्रैल को धरमदास की इलाज के दौरान मौत हो गई. उसी दिन शव को घर ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया गया.
ऐसे हुआ शक, फिर शिकायत
शव को घर ले जाने के बाद अंतिम संस्कार के दौरान जब देखा गया तो परिजनों ने पेट के पास चिरे जैसा लगा, मानों यहां से कट लगाकर किडनी निकाली गई हो. परिजनों को शक तो हुआ, लेकिन उस समय उन्होंने शव को दफना दिया. बाद में अपनी गलती का एहसास हुआ कि यदि ऐसा है तो ये अन्याय है. पहले पचपेड़ी थाने में शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. फिर कलेक्टर से गुहार लगाई. आखिरकार प्रशासन ने भी मामले की जांच कराने का भरोसा दिया. इसी कड़ी में अब शव को 25 दिनों बाद बाहर निकाला गया है.
अस्पताल प्रबंधन कहता रहा है आरोप बेबुनियाद
इन सबके बीच अस्पताल प्रबंधन का पक्ष भी आया है. संचालक डॉ. रजनीश पांडेय ने कहा कि शिकायतकर्ता के पिता का इलाज यहां हुआ है. उनकी मौत के बाद ऐसा कोई काम नहीं किया गया है. शिकायतकर्ता अपने पिता की मृत्यु के कुछ दिन बाद अस्पताल में पीएम रिपोर्ट मांगने आए थे. पीएम तो सरकारी अस्पताल में होता है तो हम रिपोर्ट कहां से देंगे. उन्हें इलाज संबंधी दस्तावेज देने की सलाह दी गई थी.
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