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वाह रे सिस्टम... एसडीएम दफ्तर में कमीशन नहीं खिलाने पर 3 लाख का बनाया मुआवजा, HC पहुंचे तो 21 लाख हो गए

 Newsbaji  |  Jun 24, 2023 03:47 PM  | 
Last Updated : Jun 24, 2023 03:47 PM
पीड़ित दुर्गा प्रसाद को अब बेदखली का अल्टीमेटम दिया जा रहा है.
पीड़ित दुर्गा प्रसाद को अब बेदखली का अल्टीमेटम दिया जा रहा है.

कोरबा. सिस्टम में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी कहां तक घुसा है इसका अंदाजा छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के एसडीएम कार्यालय से जुड़े एक प्रकरण से सहज ही लगाया जा सकता है. नेशनल हाईवे के लिए दोमंजिला मकान के अधिग्रहण का निर्णय लिया गया. मुआवजे के लिए 21 लाख रुपये का आकलन किया गया. लेकिन, एसडीएम कार्यालय में कमीशन नहीं खिलाने पर मकान मालिक का महज 3 लाख रुपये का मुआवजा बना दिया गया. अब हाईकोर्ट ने राहत देते हुए पूरे 21 लाख देने का आदेश जारी किया है.

बता दें कि एनएचआई  की ओर से कोरबा-चांपा 149 बी को फोरलेन बनाया जा रहा है. सड़क चौड़ीकरण से मार्ग के कई निजी जमीन भी प्रभावित हो रही थी. इसमें खेत और खाली जमीन के अलावा मकान भी जद में आ रहे थे. लिहाजा इन्हें अधिग्रह‍ित करने का निर्णय लिया गया. बदले में मुआवजा दिए जाने की योजना बनी. इसी के तहत राजस्व विभाग की ओर से अधिग्रहण क्षेत्र में आने वाली संपत्तियों का आकलन किया गया.

21 लाख ही हुआ था तय
इसी के तहत ग्राम पताढ़ी के किसान दुर्गा प्रसाद का मकान भी जद में आ रहा था. यह उनकी खुद की जमीन पर बना है. आकलन के आधार पर प्रकरण 21 लाख रुपये का बनाया गया. इसके बाद एसडीएम कार्यालय से स्वीकृति के बाद मुआवजा मिलना था. अब कमीशनखोरी का खेल ही यही से शुरू हो गया.

कमीशन नहीं देने पर घटाई मुआवजा राशि
मुआवजा प्रकरण एसडीएम कार्यालय में लगा था. वहां बाबुओं ने अफसरों व अन्य लोगों की शह पर किसान दुर्गा प्रसाद से बतौर कमीशन पैसे की मांग की. दुर्गा प्रसाद ने भी साफ कह दिया कि यह उनके हक का पैसा है. वे एक रुपये का भी कमीशन नहीं देंगे. तब उन्हें धमकाया भी गया कि कमीशन नहीं देने पर उनका मुआवजा कम कर दिया जाएगा या रोक दिया गया. हुआ भी वही, महज 3 लाख रुपये का मुआवजा बना दिया गया.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में मिला न्याय
इसके बाद भी दुर्गा प्रसाद नहीं झुके और इस मामले को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दुर्गा प्रसाद के पक्ष में फैसला सुनाया. यानी उन्हें पूरे 21 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए. वहीं जिन तर्कों के आधार पर मुआवजे की राशि में कटौती की गई थी, उन्हें सीधे तौर पर खारिज कर दिया गया.

अब बेदखली का फरमान
मामला यही तक नहीं रुका है. जैसे ही हाईकोर्ट का आदेश आया है, दुर्गा प्रसाद को तत्काल मकान खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया है. जबकि उनका कहना है कि अभी बरसात के इस सीजन में वे कहां जाएंगे. बदला लेने के उद्देश्य से ही उन्हें बेदखल करने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है.

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